शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

हिमाचल प्रदेश वित्तीय संकट: वेतन-पेंशन और कर्ज चुकाने में हो रहा कर्ज का प्रयोग; कैग रिपोर्ट में खुलासा

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Shimla News: हिमाचल प्रदेश विधानसभा में पेश कैग रिपोर्ट ने राज्य की चिंताजनक वित्तीय स्थिति को उजागर किया है। रिपोर्ट के अनुसार राज्य का कुल ऋण एवं देयताएं मार्च 2024 तक 95,633 करोड़ रुपये तक पहुंच गई हैं। ऋण और सकल घरेलू उत्पाद के बीच का अंतर पिछले चार वर्षों में 39.09% से बढ़कर 43.98% हो गया है।

वित्तीय लक्ष्यों की प्राप्ति में विफल

राज्य वित्त आयोग के वित्तीय बेंचमार्क पूरे नहीं कर पाया है। एफआरबीएम अधिनियम के प्रावधानों का पालन नहीं हो सका है। वर्ष 2023-24 में ऋण सीमा 6,342 करोड़ रुपये थी, लेकिन राज्य ने 9,043 करोड़ रुपये का ऋण लिया। इससे वित्तीय अनुशासन पर गंभीर सवाल उठे हैं।

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ऋण चुकाने के लिए नए ऋण

रिपोर्ट में बताया गया कि राज्य पुराने ऋण चुकाने के लिए नए ऋण ले रहा है। वर्ष 2019 में लोक ऋण का 52.99% हिस्सा ऋण चुकाने पर खर्च हुआ था। यह वर्ष 2024 में बढ़कर 74.11% हो गया है। इस तरह की प्रवृत्ति वित्तीय प्रबंधन के लिए चिंताजनक मानी जा रही है।

ओल्ड पेंशन स्कीम का दबाव

कैग रिपोर्ट में ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली पर भी चिंता जताई गई है। रिपोर्ट के अनुसार ओपीएस लागू होने से आने वाले समय में अर्थव्यवस्था पर additional दबाव पड़ेगा। राज्य सरकार को कर्ज धारण करने की क्षमता का आकलन करना होगा।

राजस्व का बड़ा हिस्सा वेतन-पेंशन पर

वर्ष 2019-20 से 2023-24 तक राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का 64 से 70% हिस्सा ब्याज, पेंशन और वेतन पर खर्च हुआ। वर्ष 2019-20 में इन मदों पर 21,466 करोड़ रुपये खर्च किए गए। वर्ष 2023-24 में यह खर्च बढ़कर 30,213 करोड़ रुपये हो गया।

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कैग ने गिनाईं प्रमुख कमियां

रिपोर्ट के अनुसार राज्य सरकार केंद्र से प्राप्त 1,024 करोड़ रुपये खर्च नहीं कर पाई। यह राशि नोडल एजेंसी के खाते में अप्रयुक्त पड़ी रही। 14 मामलों में 711 करोड़ रुपये का अनुपूरक बजट पारित किया गया, लेकिन मूल बजट में तय रकम खर्च नहीं हुई। राजकोषीय घाटा 5.43% रहा, जबकि यह 3.5% तक सीमित रहना चाहिए था।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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