Shimla News: हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में अनुबंध कर्मचारियों के मामले की अंतिम सुनवाई 13 अक्टूबर को होगी। कर्मचारियों ने हिमाचल प्रदेश भर्ती और सरकारी कर्मचारियों की सेवा की शर्त अधिनियम, 2024 की वैधता को चुनौती दी है। यह अधिनियम अनुबंध सेवाओं के लाभ न देने के लिए लाया गया है। हजारों अनुबंध कर्मचारी इस मामले में पक्षकार हैं। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश रमेश वर्मा की खंडपीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है।
कर्मचारियों की मुख्य दलीलें
कर्मचारियों का कहना है कि सरकार ने 2003 के बाद उन्हें अनुबंध पर नियुक्त किया था। समय-समय पर उन्हें नियमित भी किया गया। सरकार ने अनुबंध सेवा अवधि को नियमित सेवा के साथ नहीं जोड़ा। वित्तीय लाभ न देने पर उन्हें अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट में केस जीतने के बाद उन्हें दिए गए वित्तीय लाभ वापस लेने के लिए सरकार ने यह अधिनियम लाया। कर्मचारियों का मानना है कि यह अधिनियम असंवैधानिक है।
न्यायिक पालिका पर अतिक्रमण का आरोप
कर्मचारियों ने दलील दी है कि सरकार न्यायिक पालिका पर अतिक्रमण कर रही है। अदालत के निर्णयों को केवल अदालती निर्णयों से ही बदला या पलटा जा सकता है। सरकार अधिनियम लाकर अदालत के निर्णय में दखल दे रही है। हिमाचल प्रदेश भर्ती और सरकारी कर्मचारियों की सेवा की शर्त अधिनियम, 2024 के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अतिक्रमण किया जा रहा है। कर्मचारियों का कहना है कि सरकार के पास अधिनियम लाने की शक्तियां हैं, लेकिन उनके पास भी प्रतिकार करने का अधिकार है।
वर्ष 2008 में हुई थी नियुक्ति
प्रार्थियों का कहना है कि उनकी नियुक्ति 2008 में अनुबंध आधार पर हुई थी। नियमों के तहत उन्हें नियमित नियुक्ति दी जानी चाहिए थी। उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने शुरुआत से ही नियमित माने जाने की मांग की थी। इससे उपजे लाभ प्रदान करने की मांग को लेकर याचिका दायर की गई थी। कर्मचारियों का मानना है कि सरकार ने उनके साथ अन्याय किया है।
सरकार की स्थिति
सरकार का मानना है कि उसके पास अधिनियम लाने की शक्तियां हैं। अदालत के निर्णय में रह गई किसी त्रुटि को दूर करने का अधिकार सरकार के पास है। सरकार ने वित्तीय बोझ को कम करने के लिए यह कदम उठाया है। अनुबंध कर्मचारियों को दिए गए लाभों से राज्य के वित्त पर अतिरिक्त दबाव पड़ रहा था। सरकार का कहना है कि यह अधिनियम राज्य के हित में है।
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला लंबे समय से चल रहा है। अनुबंध कर्मचारी वर्षों से अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने न्यायालय के विभिन्न स्तरों पर अपनी बात रखी है। सुप्रीम कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला दिया था। इसके बाद सरकार ने नया अधिनियम लाकर स्थिति बदल दी। अब उच्च न्यायालय इस अधिनियम की वैधता पर फैसला सुनाएगा। यह फैसला हजारों कर्मचारियों के भविष्य को प्रभावित करेगा।
आगामी सुनवाई का महत्व
13 अक्टूबर की सुनवाई इस मामले में निर्णायक साबित होगी। दोनों पक्ष अपनी-अपनी दलीलें रख चुके हैं। अब न्यायालय को इस मामले में अंतिम फैसला सुनाना है। इस फैसले का हिमाचल प्रदेश के सभी अनुबंध कर्मचारियों पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा। यह मामला सरकार और कर्मचारियों के बीच चल रहे विवाद का हिस्सा है। न्यायालय का फैसला इस विवाद का समाधान प्रस्तुत करेगा।
