Himachal News: देशभर में दिवाली समाप्त होने के बाद हिमाचल प्रदेश के कुपवी उपमंडल में बूढ़ी दिवाली का पर्व तीन दिन तक धूमधाम से मनाया गया। धार चांदना और वावत ग्राम पंचायतों के ग्रामीणों ने महासू देवता मंदिर परिसर में शांतिपूर्ण वातावरण में यह उत्सव मनाया। ग्रामीणों ने पारंपरिक लोकगीतों पर समूह नृत्य प्रस्तुत किए।
इस दौरान स्थानीय लोगों ने पारंपरिक व्यंजन शाकुली, मुढ़ा, चिऊड़ा और मूंगफली आपस में बांटे। उत्सव में एसडीएम कुपवी और डीएसपी चौपाल सुशांत शर्मा सहित कई अधिकारी मौजूद रहे। फार्मर एडवाइजरी कमेटी के अध्यक्ष तुलसी राम जमालटा ने भी कार्यक्रम में हिस्सा लिया।
हाईकोर्ट के निर्देशों के बीच मनाया गया उत्सव
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने महासू देवता मंदिर में दिवाली समारोह को लेकर विवाद को निपटाया था। अदालत ने शुक्रवार को दिशा-निर्देश जारी किए थे कि दोनों ग्राम पंचायतों के निवासी मंदिर में दिवाली मनाने के लिए स्वतंत्र हैं। किसी को भी रोकने की अनुमति नहीं होगी।
कोर्ट ने पर्याप्त पुलिस बल तैनात करने के निर्देश दिए थे। इससे किसी अप्रिय घटना को रोका जा सका। अदालत ने अपशब्द के प्रयोग पर रोक लगाई थी। हर परिवार केवल एक मशाल ला सकता था, जिसे मंदिर परिसर के बाहर रखा गया।
पारंपरिक वाद्ययंत्रों और लोकगीतों की गूंज
ग्रामीण तीन दिन तक पारंपरिक वाद्ययंत्रों की धुन पर थिरकते रहे। लोक कलाकारों ने कार्यक्रम में आकर्षण का केंद्र बने रहे। गांव के लोग सुबह से शाम तक हर घर में जाकर पारंपरिक व्यंजन बनाते रहे। मूड़ा असगलियां, पटांडे और राजमा खिचड़ी जैसे व्यंजन तैयार किए गए।
स्थानीय कलाकारों ने पारंपरिक वेशभूषा धारण कर रखी थी। उन्होंने हाथ में ढोल, नगाड़ा, करनाल और हुल्क जैसे वाद्ययंत्र ले रखे थे। ग्रामीणों ने दिवाली के लोकगीत सुनाए और नाच-गाने का आनंद लिया। पूरा माहौल उत्सवमय बना रहा।
प्रशासनिक व्यवस्थाओं ने बनाए रखा शांति वातावरण
प्रशासन ने उत्सव के दौरान सुरक्षा के पूरे इंतजाम किए थे। एसडीएम कुपवी और डीएसपी चौपाल ने व्यक्तिगत रूप से कार्यक्रम में हिस्सा लिया। फार्मर एडवाइजरी कमेटी के अध्यक्ष तुलसी राम जमालटा भी मौजूद रहे। प्रधान विक्रम चौहान और उप प्रधान जोगिंदर ने समारोह का संचालन किया।
नमबरदार केदार तेगवान ने ग्रामीणों के साथ मिलकर उत्सव को सफल बनाया। हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए पूरा कार्यक्रम शांतिपूर्वक संपन्न हुआ। किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली। सभी ग्रामीणों ने आपसी सद्भाव के साथ उत्सव मनाया।
सांस्कृतिक विरासत को संजोए रखने का प्रयास
यह उत्सव हिमाचल प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है। बूढ़ी दिवाली का परंपरागत स्वरूप आज भी कायम है। ग्रामीण पारंपरिक वेशभूषा और वाद्ययंत्रों के साथ उत्सव मनाते हैं। लोकगीत और नृत्य स्थानीय संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा बने हुए हैं।
तीन दिन तक चलने वाले इस उत्सव में सभी ग्रामीण बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। पारंपरिक व्यंजन बनाने और बांटने की परंपरा ने आपसी भाईचारे को मजबूत किया। यह उत्सव सामुदायिक एकता और सांस्कृतिक धरोहर का जीवंत उदाहरण बना हुआ है।
