Shimla News: हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने लैंड सीलिंग एक्ट की धारा 163(ए) को निरस्त कर दिया है। इस फैसले के बाद प्रदेश के हजारों किसान परिवारों में भय का माहौल है। अदालत ने किसानों के कब्जे वाली भूमि खाली करवाने के लिए 28 फरवरी 2026 की अंतिम तिथि तय की है।
हिमाचल किसान सभा ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया है। संगठन ने इसे किसानों और गरीबों के हितों के विरुद्ध बताया है। गोपालपुर और धर्मपुर सहित विभिन्न क्षेत्रों से सहयोग राशि एकत्र की जा रही है।
किसान सभा की एक बैठक सरकाघाट में पूर्व जिला पार्षद भूपेंद्र सिंह की अध्यक्षता में हुई। बैठक में जिला अध्यक्ष कुशाल भारद्धाज भी मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि संगठन वर्षों से हर परिवार को पांच बीघा जमीन देने की मांग कर रहा है।
इस साल 20 मार्च को विधानसभा और 29 जुलाई को सचिवालय शिमला में हजारों किसानों ने प्रदर्शन किया था। मुख्यमंत्री ने इस पर नीति बनाने का आश्वासन दिया था। अदालत के हालिया फैसले ने स्थिति को गंभीर बना दिया है।
भूपेंद्र सिंह ने कहा कि किसान सभा किसी भी किसान का मकान जबरन गिराने का विरोध करेगी। प्रशासन या सरकार के दबाव का डटकर प्रतिरोध किया जाएगा। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग-003 के मुद्दे को भी हाईकोर्ट में ले जाने की तैयारी है।
