Himachal News: हिमाचल प्रदेश सरकार ने शिक्षा क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव करते हुए चार वर्षीय एकीकृत बीएड डिग्री कार्यक्रम को मंजूरी दे दी है। यह नया कोर्स अगले शैक्षणिक सत्र 2026-27 से राज्य के चार सरकारी कॉलेजों में शुरू होगा। इसके तहत छात्र बारहवीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद सीधे बैचलर ऑफ एजुकेशन में दाखिला ले सकेंगे। यह फैसला राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप लिया गया है।
इन कॉलेजों में मिलेगी सुविधा
चार वर्षीय बीएड डिग्रीकार्यक्रम की शुरुआत चुनिंदा कॉलेजों से होगी। धर्मशाला, नादौन, चायल कोटी और टिक्कर के सरकारी कॉलेज इसके लिए चुने गए हैं। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय को नए पाठ्यक्रम को तैयार करने का निर्देश दिया गया है। राज्य सरकार पिछले दो साल से इस योजना पर काम कर रही थी। इस नए कोर्स से छात्रों को सीधे बारहवीं के बाद शिक्षक बनने की दिशा में आगे बढ़ने का मौका मिलेगा।
शिक्षक भर्ती में आएंगे बदलाव
नई व्यवस्थाके लागू होने के साथ ही शिक्षक भर्ती के नियमों में भी बदलाव किए जाएंगे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार वर्ष 2030 के बाद शिक्षक भर्ती के लिए केवल चार वर्षीय बीएड डिग्री धारक ही पात्र होंगे। इससे पहले की दो साल की बीएड डिग्री धारकों के लिए ब्रिज कोर्स का प्रावधान किया जा सकता है। टीजीटी और स्कूल लेक्चरर के लिए भर्ती एवं पदोन्नति नियमों में संशोधन करना होगा।
हिमाचल में बीएड शिक्षा का वर्तमान परिदृश्य
राज्य मेंवर्तमान में बीएड की डिग्री दो साल की होती है। अभी तक बीएड में दाखिला स्नातक डिग्री पूरी करने के बाद ही मिल पाता था। हिमाचल में 73 बीएड कॉलेज हैं जिनमें 8000 सीटें उपलब्ध हैं। अक्सर ये सीटें खाली रह जाती थीं। नए कोर्स के लागू होने के बाद बीएड भी बीए, बीएससी और बीकॉम जैसी स्नातक डिग्री के समान हो जाएगा। इससे दाखिलों में वृद्धि की उम्मीद है।
अन्य शैक्षणिक सुधारों को भी मिली मंजूरी
मंत्रिमंडल नेहमीरपुर कॉलेज को पूर्ण विज्ञान महाविद्यालय में बदलने की भी मंजूरी दी है। यहां एकीकृत बीएसई बीएड कार्यक्रम शुरू किया जाएगा। हमीरपुर के लड़कों और लड़कियों के वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों का विलय कर सह-शिक्षा मॉडल लागू किया जाएगा। शिमला जिले के सरस्वती नगर कॉलेज में दो वर्षीय बीपीएड कार्यक्रम शुरू करने को भी स्वीकृति मिली है। लहाराब और हरिपुर-गुलेर में फाइन आर्ट्स विषय शुरू किए जाएंगे।
शिक्षा क्षेत्र में गुणात्मक सुधार का लक्ष्य
इस निर्णय काउद्देश्य राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाना है। नए कोर्स से शिक्षकों के प्रशिक्षण में सुधार होगा। विद्यार्थियों को अधिक व्यापक शिक्षा मिल सकेगी। शिक्षक बनने के इच्छुक युवाओं के लिए यह राह आसान होगी। राज्य सरकार का यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप दीर्घकालिक शैक्षणिक सुधारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इससे भविष्य में बेहतर प्रशिक्षित शिक्षक तैयार होंगे।
राज्य के शिक्षा सूचकांक में दिखी सुधार की झलक
हिमाचल प्रदेश नेशिक्षा सूचकांक में उल्लेखनीय सुधार किया है। राज्य राष्ट्रीय शिक्षा सूचकांक में 21वें स्थान से उठकर अब पांचवें स्थान पर पहुंच गया है। सरकार द्वारा किए जा रहे शैक्षणिक सुधारों के सकारात्मक नतीजे सामने आ रहे हैं। शिक्षा क्षेत्र में नवीन प्रयोगों को बढ़ावा दिया जा रहा है। बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। आधुनिक शिक्षण तकनीकों को अपनाने की दिशा में काम किया जा रहा है।
भविष्य की योजनाओं पर काम जारी
शिक्षाविभाग अब इस नई व्यवस्था को 12वीं कक्षा में भी लागू करने की संभावनाएं तलाश रहा है। इसके लिए व्यापक तैयारियां की जा रही हैं। नए पाठ्यक्रम को अंतिम रूप दिया जा रहा है। संबंधित कॉलेजों में आवश्यक संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है। शिक्षकों के प्रशिक्षण की व्यवस्था पर भी काम चल रहा है। आगामी शैक्षणिक सत्र तक सभी तैयारियां पूरी कर ली जाएंगी। इससे छात्रों को बेहतर शिक्षा मिल सकेगी।
