Shimla News: हिमाचल प्रदेश सरकार ने शिक्षा व्यवस्था में बड़ा बदलाव करते हुए प्रदेश के 100 से अधिक सरकारी स्कूलों को केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से जोड़ने का फैसला किया है। इसके साथ ही अलग-अलग चल रहे लड़कों और लड़कियों के स्कूलों को आपस में मिलाकर सह-शिक्षा लागू की जाएगी। शिक्षा निदेशालय ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है और मास्टर प्लान तैयार है।
यह ऐतिहासिक फैसला आगामी शैक्षणिक सत्र से लागू हो सकता है। सरकार की मंशा शिक्षा की गुणवत्ता में व्यापक सुधार लाने की है। इस पहल के तहत सभी जिलों के स्कूलों को शामिल किया गया है। अब अंतिम मंजूरी के लिए यह प्रस्ताव राज्य मंत्रिमंडल के समक्ष रखा जाएगा।
शिक्षा विभाग ने स्कूलों के विलय के लिए एक मानदंड तय किया है। यदि किसी क्षेत्र में लड़कों और लड़कियों के स्कूलों में छठी से दसवीं कक्षा तक छात्रों की कुल संख्या 500 से कम है, तो उन्हें मर्ज कर एक सह-शिक्षा वाला स्कूल बना दिया जाएगा। इससे संसाधनों का बेहतर उपयोग हो सकेगा।
इसी प्रकार, यदि दो स्कूल आधे से एक किलोमीटर के दायरे में स्थित हैं और दोनों में छात्र संख्या कम है, तो उनके विलय पर विचार किया जाएगा। इस नीति का उद्देश्य छोटे और अक्षम स्कूलों को बंद कर शैक्षिक वातावरण को मजबूत करना है। इससे शिक्षकों की कमी जैसी समस्याएं भी दूर होंगी।
स्टाफ और संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल
शिक्षा सचिव राकेश कंवर ने बताया कि सीबीएसई पाठ्यक्रम लागू करने और सह-शिक्षा शुरू करने की योजना पर काम चल रहा है। स्कूलों के विलय को लेकर प्रदेश सरकार जल्द ही अंतिम निर्णय लेगी। इस पूरी प्रक्रिया में शिक्षा उप-निदेशकों की अहम भूमिका है।
उन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों के सभी बॉयज और गर्ल्स स्कूलों की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट निदेशालय में जमा करा दी है। इन रिपोर्ट्स में छात्र-छात्राओं की संख्या, विषयवार जानकारी, शिक्षकों और अन्य स्टाफ की स्थिति तथा बुनियादी ढांचे का पूरा ब्यौरा शामिल है।
छात्रों को मिलेगा विषय चुनने की आजादी
विलय का एक प्रमुख कारण लड़कियों के स्कूलों में विज्ञान जैसे विषयों का न होना है। अक्सर उन्हें कला या वाणिज्य संकाय में ही पढ़ाई करनी पड़ती थी। सह-शिक्षा लागू होने के बाद सभी छात्र-छात्राओं को विज्ञान, कला और वाणिज्य तीनों संकाय चुनने की सुविधा मिलेगी।
इससे शिक्षा में समानता को बढ़ावा मिलेगा। विद्यार्थी अपनी रुचि के अनुसार विषय चुन सकेंगे। इस कदम से शिक्षा के क्षेत्र में लैंगिक असमानता दूर करने में भी मदद मिलेगी। शिक्षा विभाग का मानना है कि इससे शिक्षण के स्तर में सुधार आएगा।
शिक्षकों की कमी होगी दूर
स्कूलों के विलय से शिक्षकों और अन्य स्टाफ की कमी की समस्या भी हल होगी। अलग-अलग स्कूलों में शिक्षकों के खाली पद रहते थे। विलय के बाद तीनों संकायों के लिए पर्याप्त शिक्षक उपलब्ध हो सकेंगे। इससे पढ़ाई का स्तर भी सुधरेगा।
प्रदेश सरकार का लक्ष्य शिक्षा प्रणाली को राष्ट्रीय स्तर की बनाना है। सीबीएसई पाठ्यक्रम से छात्रों को प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं में फायदा मिलेगा। इस संबंध में उच्च शिक्षा विभाग द्वारा कराए गए सर्वेक्षण के आधार पर ही यह रिपोर्ट तैयार की गई है।
यह सुधार शिक्षा के क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत करेगा। इससे न केवल शैक्षिक संसाधनों का बेहतर उपयोग होगा, बल्कि छात्रों का सर्वांगीण विकास भी सुनिश्चित होगा। पूरे प्रदेश में शिक्षा का स्तर ऊपर उठेगा और छात्र राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम होंगे।
