शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

हिमाचल प्रदेश शिक्षा: प्रधानाचार्य पदोन्नति प्रक्रिया में ऐतिहासिक बदलाव, 805 पद भरेंगे

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Himachal News: हिमाचल प्रदेश सरकार ने सरकारी स्कूलों में प्रधानाचार्य पद पर पदोन्नति की प्रक्रिया में ऐतिहासिक बदलाव किया है। अब प्रवक्ता और मुख्याध्यापक पदों से प्रधानाचार्य के पद पर नियमित पदोन्नति होगी। इस नए नियम के तहत 805 खाली पदों को भरने की मंजूरी मिल गई है। पदोन्नति की जिम्मेदारी अब राज्य लोक सेवा आयोग के बजाय शिक्षा सचिव की अध्यक्षता वाली विभागीय समिति की होगी। यह फैसला दो साल से लंबित पदोन्नति प्रक्रिया को हल करेगा।

मुख्यमंत्री सुक्खू सरकार के मंत्रिमंडल ने सोमवार को इस महत्वपूर्ण निर्णय को अंतिम स्वीकृति दे दी। इससे पहले कैबिनेट ने कार्मिक विभाग से इस प्रक्रिया की कानूनी जांच भी करवाई थी। नई व्यवस्था में पदोन्नति प्रक्रिया सरल और तेज होगी। शिक्षा विभाग के अधिकारी इस नए बदलाव से प्रधानाचार्य पदों पर शीघ्र नियुक्तियों को लेकर आशान्वित हैं। इससे स्कूल प्रबंधन में सुधार की उम्मीद है।

पदोन्नति प्रक्रिया में बदलाव

प्रधानाचार्य पद केलिए पदोन्नति प्रक्रिया में मौलिक परिवर्तन किया गया है। पहले यह प्रक्रिया राज्य लोक सेवा आयोग के माध्यम से संपन्न होती थी। अब यह जिम्मेदारी विभागीय पदोन्नति समिति को सौंपी गई है। इस समिति की अध्यक्षता शिक्षा सचिव करेंगे। समिति में निदेशक शिक्षा और उप सचिव स्तर के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल होंगे । इस बदलाव का उद्देश्य पदोन्नति प्रक्रिया को तेज और अधिक कारगर बनाना है।

यह निर्णय लंबे समय से चली आ रही समस्या का समाधान प्रस्तुत करता है। वर्ष 1998 से 2023 तक प्रधानाचार्य पदों पर नियमित नियुक्ति नहीं हो पा रही थी। अधिकतर नियुक्तियां प्लेसमेंट या अस्थायी आधार पर की जाती थीं। इस नई व्यवस्था के बाद भविष्य में सभी पदोन्नतियां स्थायी होंगी। इससे शिक्षकों को कानूनी मामलों में उलझने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

805 पदों को भरने की स्वीकृति

राज्य मंत्रिमंडल नेप्रधानाचार्य के 805 रिक्त पदों को पदोन्नति के माध्यम से भरने की स्वीकृति प्रदान कर दी है। ये सभी पद पूरे राज्य के विभिन्न स्कूलों में खाली पड़े हैं। इन पदों के लिए पैनल तैयार करने और दस्तावेजों की जांच की प्रक्रिया काफी लंबी थी। नई व्यवस्था में एक साथ सभी पदों को भरने का निर्णय लिया गया है । इससे शिक्षा विभाग का कामकाज सुचारू रूप से चल सकेगा।

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पदों के रिक्त रहने से स्कूल प्रबंधन में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था। कई स्कूलों में वरिष्ठ शिक्षकों को प्रधानाचार्य का अतिरिक्त कार्यभार संभालना पड़ रहा था। इससे शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा था। स्कूलों में स्थायी प्रधानाचार्य के अभाव में शैक्षणिक गतिविधियां बाधित हो रही थीं। नई नियुक्तियों से इन समस्याओं के समाधान की उम्मीद है।

दो वर्ष से लंबित थी प्रक्रिया

प्रधानाचार्य पदोंपर पदोन्नति की प्रक्रिया पिछले दो वर्षों से लंबित चल रही थी। आखिरी बार 27 मई 2023 को मुख्याध्यापकों और प्रवक्ताओं को प्रधानाचार्य पद पर पदोन्नत किया गया था। उसी वर्ष दिसंबर में कुछ शिक्षकों को प्लेसमेंट के आधार पर नियुक्त किया गया था । इस लंबित प्रक्रिया ने शिक्षकों की पदोन्नति में बाधा उत्पन्न की थी।

पदोन्नति में देरी का सबसे बड़ा नुकसान योग्य शिक्षकों को हो रहा था। कई शिक्षक पदोन्नति के पात्र होने के बावजूद सेवानिवृत्त हो गए। उन्हें पदोन्नति के लाभ नहीं मिल सके। नई व्यवस्था से भविष्य में इस तरह की समस्याओं से बचा जा सकेगा। शिक्षकों को उनके अधिकार समय पर मिल सकेंगे। इससे शिक्षकों का मनोबल भी बढ़ेगा।

शिक्षक संघ ने किया स्वागत

प्रदेश स्कूल लेक्चरर संघ नेप्रधानाचार्य पद पर पदोन्नति प्रक्रिया में बदलाव का स्वागत किया है। संघ के मुख्य मीडिया सचिव राजन शर्मा ने कहा कि इस निर्णय से प्रिंसिपल पदोन्नति सूची जारी करने में तेजी आएगी । उन्होंने इस निर्णय को शिक्षक हित में एक सराहनीय कदम बताया।

शिक्षक संगठनों का मानना है कि यह बदलाव शिक्षा व्यवस्था में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे शिक्षकों के करियर में आगे बढ़ने के नए अवसर उत्पन्न होंगे। संगठन ने सरकार से भविष्य में भी शिक्षक हितों को ध्यान में रखते हुए इस तरह के निर्णय लेने का अनुरोध किया है। इस निर्णय से शिक्षा के क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद की जा रही है।

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नियमित पदोन्नति का नया दौर

नई व्यवस्थामें प्रधानाचार्य पदों पर नियमित पदोन्नति का मार्ग प्रशस्त हो गया है। पिछले कई वर्षों से प्लेसमेंट आधार पर पद भरे जा रहे थे। अब प्रवक्ता और मुख्याध्यापक पदों से सीधी नियमित पदोन्नति हो सकेगी । इससे शिक्षकों को कार्य सुरक्षा का अहसास होगा।

नियमित पदोन्नति से शिक्षकों के वेतन और अन्य लाभों में भी सुधार होगा। इससे शिक्षण पेशे की गरिमा बढ़ेगी। योग्य शिक्षकों को उनकी योग्यता के अनुसार पद मिल सकेंगे। इस व्यवस्था से शिक्षा के स्तर में सुधार की भी उम्मीद है। स्कूलों का प्रबंधन अधिक प्रभावी ढंग से काम कर सकेगा।

शिक्षा विभाग की नई योजनाएं

हिमाचल प्रदेश सरकार शिक्षाप्रणाली को मजबूत करने के लिए कई नई योजनाएं लागू कर रही है। राज्य के 100 स्कूलों को एचपी बोर्ड से सीबीएसई में बदला जा रहा है । इन स्कूलों में शिक्षकों और प्रधानाचार्यों की तैनाती के लिए अब परीक्षा देना अनिवार्य होगा।

सीबीएसई स्कूलों में चयन के लिए परीक्षा में उच्चतम अंक लाने वाले शिक्षकों का चयन किया जाएगा। चयनित शिक्षकों को सीबीएसई मानकों के अनुसार विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा । इस प्रशिक्षण के तहत शिक्षकों को देश के प्रमुख संस्थानों में भेजा जाएगा। इससे शिक्षकों के कौशल और शिक्षण विधियों का विकास होगा।

भविष्य की संभावनाएं

इस निर्णय केबाद अब शिक्षा विभाग जल्द ही पदोन्नति की प्रक्रिया शुरू करेगा। शिक्षा सचिव की अध्यक्षता में विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक शीघ्र होने की उम्मीद है। इस बैठक में पदोन्नति के मानदंडों और समयसीमा पर चर्चा होगी। समिति योग्य शिक्षकों की सूची तैयार करेगी।

नई व्यवस्था से शिक्षा विभाग के कामकाज में पारदर्शिता बढ़ेगी। शिक्षकों को उनके अधिकार मिल सकेंगे। स्कूलों के प्रबंधन में सुधार होगा। छात्रों को बेहतर शिक्षा मिल सकेगी। इस निर्णय से हिमाचल प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को एक नई दिशा मिलेगी।

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