शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

हिमाचल प्रदेश: शिक्षा विभाग का बड़ा फैसला, बिना अनुमति शिक्षकों को राज्य से बाहर भेजने पर रोक; जानें पूरा मामला

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Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में शैक्षणिक गुणवत्ता सुधारने के लिए शिक्षा निदेशालय ने बड़ा फैसला लिया है। अब बिना पूर्व अनुमति के किसी भी शिक्षक को राज्य से बाहर नहीं भेजा जाएगा। यह नियम ड्यूटी, प्रशिक्षण कार्यक्रम, कार्यशाला या सेमिनार सभी पर लागू होगा।

स्कूल शिक्षा निदेशक आशीष कोहली ने सभी जिला उपनिदेशकों को कड़े निर्देश जारी किए हैं। निदेशालय ने पाया कि कुछ जिला उपनिदेशक बिना अनुमति शिक्षकों को बाहर भेज रहे थे। इससे स्कूलों में पढ़ाई प्रभावित हो रही थी।

शैक्षणिक दिनों का महत्व

निदेशालय ने स्पष्ट किया कि एक शैक्षणिक वर्ष में 220 टीचिंग डेज पूरे करना अनिवार्य है। इसका मुख्य उद्देश्य छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है। जब शिक्षक स्कूल से बाहर रहते हैं तो पढ़ाई बाधित होती है।

इसका सीधा असर बच्चों की शिक्षा पर पड़ता है। निदेशक ने कहा कि सरकारी स्कूलों के छात्रों को बेहतर शिक्षा देने के लिए प्रतिबद्ध है। शिक्षकों की नियमित उपस्थिति इसके लिए जरूरी है।

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नए निर्देशों की मुख्य बातें

नए निर्देशों के अनुसार किसी भी शिक्षक या शिक्षकों के समूह को बाहरी राज्यों में नहीं भेजा जाएगा। यह प्रतिबंध प्रशिक्षण, सेमिनार, गतिविधि या कार्यक्रम सभी पर लागू होता है। यदि कोई आवश्यकता हो तो पहले निदेशालय से अनुमति लेनी होगी।

सिर्फ समग्र शिक्षा के तहत आयोजित कार्यक्रमों के लिए छूट दी गई है। इसके अलावा हर मामले में अनुमति आवश्यक रहेगी। जिला अधिकारियों को इन नियमों का सख्ती से पालन करना होगा।

लापरवाही पर कार्रवाई की चेतावनी

निदेशालय ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि निर्देशों की अनदेखी गंभीर मानी जाएगी। किसी भी प्रकार की लापरवाही पर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। शिक्षा विभाग का मानना है कि शिक्षकों का अनावश्यक रूप से बाहर जाना हानिकारक है।

इससे छात्रों की पढ़ाई सीधे प्रभावित होती है। निदेशालय ने स्पष्ट कर दिया है कि छात्रों की शिक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित करना जिला अधिकारियों की जिम्मेदारी होगी।

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शिक्षा गुणवत्ता पर फोकस

यह फैसला राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। शिक्षकों की कक्षाओं में नियमित उपस्थिति से छात्रों का शैक्षणिक स्तर सुधरेगा। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे।

निदेशालय का यह कदम शिक्षा के अधिकार को मजबूत करेगा। हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलना उसका मौलिक अधिकार है। शिक्षकों की नियमित उपस्थिति इस लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगी।

जिला अधिकारियों की जिम्मेदारी

अब जिला उपनिदेशकों को अतिरिक्त सतर्कता बरतनी होगी। उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि शिक्षक नियमित रूप से स्कूल आएं। बिना अनुमति किसी को भी बाहर न भेजा जाए।

शिक्षा विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि छात्रों के हित सर्वोपरि हैं। कोई भी गतिविधि बच्चों की शिक्षा से ऊपर नहीं है। यह निर्देश तुरंत प्रभाव से लागू हो गए हैं।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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