Shimla News: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विधानसभा में पूर्व भाजपा सरकार को राज्य के वित्तीय संकट के लिए जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने बताया कि राज्य को 76,000 करोड़ रुपये का कर्ज विरासत में मिला है। पूर्व सरकार ने चुनावी लाभ के लिए 5,000 करोड़ रुपये से अधिक मुफ्त उपहार बांटे थे। इसके अलावा औद्योगिक घरानों को सस्ती दरों पर जमीन दी गई।
वित्तीय संसाधनों में भारी कमी
मुख्यमंत्री ने बताया कि जीएसटी क्षतिपूर्ति 16,000 करोड़ से घटकर 3,000 करोड़ रह गई है। राजस्व घाटा अनुदान भी 10,000 करोड़ से घटकर 3,000 करोड़ रुपये पर आ गया है। केंद्र सरकार ने पुरानी पेंशन योजना बहाल करने पर 1,600 करोड़ का अतिरिक्त कर्ज लेने से रोक दिया है। इन सभी कारणों से राज्य को वित्तीय चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
सरकार की राजस्व बढ़ाने की पहल
वर्तमान सरकार ने शराब की बोतल पर 10 रुपये का दूध उपकर लगाया है। गाय के गोबर की खरीद तीन रुपये प्रति किलो के हिसाब से की जा रही है। शराब दुकान नीलामी से दो वर्षों में 629 करोड़ रुपये की आय प्राप्त हुई है। 23,000 उपभोक्ताओं ने स्वेच्छा से बिजली सब्सिडी छोड़ी है। इन उपायों से राजस्व बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है।
विभागीय सुधार और भविष्य की योजनाएं
सरकार आने वाले दिनों में कई विभागों का युक्तिकरण करेगी। कुछ विभागों का विलय भी किया जाएगा। वर्तमान में अधिकांश विभागों में ऊपरी स्तर पर अधिकारी अधिक हैं। निचले स्तर पर कर्मियों की कमी है। इस असंतुलन को दूर करने के लिए सुधार किए जाएंगे। प्रशासनिक efficiency बढ़ाने पर ध्यान दिया जा रहा है।
विपक्ष का रुख और आरोप
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री को पिछली सरकार को दोष देने के बजाय समाधान प्रस्तुत करने चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने सत्ता हासिल करने के लिए झूठे वादे किए थे। उन्होंने स्पष्ट किया कि राजस्व घाटा अनुदान सूत्र आधारित है। यह सभी राज्यों को समान रूप से दिया जाता है। विपक्ष ने वित्तीय प्रबंधन पर सवाल उठाए हैं।
