Himachal News: हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में दो कश्मीरी फेरीवालों के साथ हुए विवाद ने राजनीतिक तूल पकड़ लिया है। कुपवाड़ा के विधायक मीर मोहम्मद फयाज ने इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए हिमाचल सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है। देहरा के गरली गांव में स्थानीय युवक नरेश शर्मा ने दोनों फेरीवालों से बिना अनुमति के सामान बेचने पर सवाल उठाए थे।
वायरल हुए वीडियो में देखा जा सकता है कि युवक ने दोनों कश्मीरी फेरीवालों से उनके पुलिस सत्यापन के बारे में पूछा। जब वे कोई वैध दस्तावेज दिखाने में असमर्थ रहे तो युवक ने उन्हें पंचायत क्षेत्र से बाहर जाने को कहा। इस दौरान युवक ने फेरीवालों की तलाशी भी ली और हथियार होने की आशंका जताई।
विधायक ने की राज्यपाल से शिकायत
कुपवाड़ाके विधायक मीर मोहम्मद फयाज ने इस मामले को सोशल मीडिया पर उठाया है। उन्होंने कहा कि यह दुखद है कि कश्मीरी लोगों को रोजी-रोटी के लिए बाहर जाने पर इस तरह की परेशानी झेलनी पड़ती है। विधायक ने हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल और मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप करने की अपील की है।
उन्होंने सवाल उठाया कि क्यों हर कश्मीरी को संदेह की नजर से देखा जाता है। विधायक ने हिमाचल प्रदेश में कश्मीरी लोगों की सुरक्षा और गरिमा सुनिश्चित करने की मांग की है। उनका कहना है कि ऐसे मामले भाईचारे को नुकसान पहुंचाते हैं।
स्थानीय युवक का बयान
नरेश शर्माने बताया कि वह गांव के मंदिर में पुजारी हैं। उनका कहना है कि उन्हें फेरीवालों से कोई व्यक्तिगत समस्या नहीं है। लेकिन बिना उचित सत्यापन के किसी को भी गांव में घूमने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
उन्होंने कहा कि गांव में महिलाएं और बच्चियां अकेली रहती हैं। हाल ही में तीन साल की एक बच्ची के गुम होने की घटना के बाद से स्थानीय लोग सतर्क हैं। शर्मा ने स्पष्ट किया कि वह किसी विशेष समुदाय को निशाना नहीं बना रहे हैं।
फेरीवालों का पक्ष
दोनोंकश्मीरी फेरीवालों ने बताया कि वे पिछले पांच साल से नैहरन फुखर इलाके में रह रहे हैं। उन्होंने स्थानीय दुकानदार देश राज के यहां किराए पर कमरा ले रखा है। उनके पास आधार कार्ड जैसे दस्तावेज मौजूद हैं।
फेरीवालों का कहना था कि वे कानून का पालन करते हैं और शांति से अपना व्यवसाय करना चाहते हैं। उन्होंने स्थानीय लोगों की सुरक्षा चिंताओं को समझा लेकिन साथ ही सम्मानपूर्ण व्यवहार की उम्मीद जताई।
पुलिस की प्रतिक्रिया
रक्कड़पुलिस थाने के मुंशी विनोद कुमार ने बताया कि उन्हें अभी तक इस मामले की कोई औपचारिक शिकायत नहीं मिली है। हालांकि उन्होंने स्थानीय स्तर पर जांच करने का आश्वासन दिया है। पुलिस ने मामले की संवेदनशीलता को समझते हुए उचित कार्रवाई का वादा किया है।
देहरा के एसपी मयंक चौधरी से संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन वह फोन पर उपलब्ध नहीं थे। पुलिस नियंत्रण कक्ष ने आगे की जानकारी के लिए थाने के मुंशी का नंबर साझा किया है।
स्थानीय निवासियों की प्रतिक्रिया
गांव केकुछ निवासियों का मानना है कि सुरक्षा के मद्देनजर ऐसी जांच जरूरी है। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि हर कश्मीरी को संदेह की नजर से देखना उचित नहीं है। उनका मानना है कि दस्तावेजों की जांच के बाद व्यवसाय करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
यह घटना इस बड़े सवाल को उठाती है कि सुरक्षा और समावेशिता के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए। स्थानीय प्रशासन ने मामले में संयम बरतने की अपील की है।
