Shimla News: हिमाचल प्रदेश सरकार ने आपदा प्रबंधन क्षमताओं को मजबूत करने का निर्णय लिया है। मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना की अध्यक्षता में आयोजित उच्चस्तरीय बैठक में महत्वपूर्ण फैसले किए गए। बैठक में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, मौसम विभाग और अन्य संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
मुख्य सचिव ने कहा कि राज्य में आपदाओं की बढ़ती आवृत्ति को देखते हुए एसडीआरएफ को मजबूत करना जरूरी है। उन्होंने समर्पित प्रशिक्षण मॉड्यूल विकसित करने पर जोर दिया। इस प्रशिक्षण में ड्रोन संचालन, दुर्गम क्षेत्रों में बचाव कार्य और क्षति आकलन शामिल होगा।
तकनीकी उन्नयन की योजना
आपदा प्रतिक्रिया को और प्रभावी बनाने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग किया जाएगा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए आदर्श दिशा-निर्देश विकसित किए जाएंगे। इससे बचाव कार्यों में तेजी आएगी और सटीकता बढ़ेगी। दवाओं को सही स्थानों तक पहुंचाने में मदद मिलेगी।
मुख्य सचिव ने मंडी में एनडीआरएफ मुख्यालय और क्षेत्रीय प्रतिक्रिया केंद्रों की स्थापना में तेजी लाने के निर्देश दिए। नालागढ़ और रामपुर में नए क्षेत्रीय प्रतिक्रिया केंद्र स्थापित किए जाएंगे। इन केंद्रों से आपदा प्रबंधन क्षमता में significant improvement आएगी।
राष्ट्रीय स्तर का सहयोग
एनडीआरएफ के महानिदेशक पीयूष गोयल ने कहा कि एनडीआरएफ विभिन्न प्रशिक्षण पाठ्यक्रम आयोजित करता है। एसडीआरएफ अपनी आवश्यकतानुसार प्रशिक्षण का चयन कर सकता है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य कृष्ण एस. वत्स ने भी एसडीआरएफ को मजबूत बनाने पर सुझाव दिए।
इन सभी उपायों से हिमाचल प्रदेश की आपदा प्रबंधन क्षमता में significant improvement होगी। नई तकनीकों के उपयोग से बचाव कार्य और अधिक effective होंगे। राज्य सरकार आपदा प्रबंधन को लेकर गंभीर है और इसे लगातार मजबूत कर रही है।
