Himachal News: हिमाचल किसान सभा ने प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित किसानों और आम जनता के लिए एक राज्य स्तरीय अधिवेशन आयोजित किया। यह अधिवेशन मंडी स्थित विश्वकर्मा हॉल में संपन्न हुआ। राज्य सचिव राकेश सिंघा ने उद्घाटन भाषण में प्रदेश में आई आपदाओं के कारण लोगों की बढ़ती पीड़ा पर गहरी चिंता व्यक्त की।
अधिवेशन के अंत में यह निर्णय लिया गया कि 26 नवंबर को प्रदेश भर के जिला मुख्यालयों और उपमंडल कार्यालयों पर विशाल प्रदर्शन किया जाएगा। यदि सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो 19 जनवरी को फिर से हर उपमंडल कार्यालय पर प्रदर्शन आयोजित किए जाएंगे। इससे पहले किसान सभा का एक प्रतिनिधिमंडल प्रदेश सरकार से मिलकर अपना मांग पत्र सौंपेगा।
आपदा पीड़ितों की विकट स्थिति
राज्य सचिव राकेश सिंघाने अपने संबोधन में कहा कि प्रदेश में आए भारी प्राकृतिक हादसों ने हजारों लोगों की जमीन, खेत, खलियान और मकान को पूरी तरह तबाह कर दिया है। कई प्रभावितों के पास मकान बनाने के लिए दो बिस्वा जमीन तक नहीं बची है। लोगों ने अपनी रोजी-रोटी, जमीन और यहां तक कि अपने परिवार की सुरक्षा तक खो दी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि अब समय आ गया है कि सरकार उनके लिए ठोस कदम उठाए।
हिमाचल प्रदेश में पिछले कुछ वर्षों में लगातार आई प्राकृतिक आपदाओं ने किसानों और ग्रामीण जनता की आर्थिक और सामाजिक स्थिति को कमजोर कर दिया है। भारी बारिश, भूस्खलन और बाढ़ ने कई परिवारों को उनकी जमीन और मकान से वंचित कर दिया है। कई स्थानों पर प्रभावितों को पुनर्वास के लिए जमीन तक नहीं दी गई है। यह स्थिति अब असहनीय हो चुकी है।
किसान सभा की प्रमुख मांगें
हिमाचल किसान सभाने अपने अधिवेशन में कई महत्वपूर्ण मांगों पर जोर दिया। सभा ने मांग की कि फॉरेस्ट कंजर्वेशन एक्ट में संशोधन करके प्रभावितों को कम से कम पांच बीघा जमीन दी जाए। जिन लोगों के मकान आपदाओं में नष्ट हुए हैं, उनके लिए शीघ्र मकान निर्माण सुनिश्चित किया जाए। विस्थापित परिवारों को हर महीने किराया भत्ता प्रदान किया जाए।
राकेश सिंघा ने स्पष्ट किया कि उनका मकसद केवल प्रदर्शन करना नहीं है, बल्कि सरकार से व्यवहारिक और त्वरित समाधान निकालना है। प्रभावितों को न्याय दिलाने के लिए यह आंदोलन जरूरी है। किसान सभा की ओर से जल्द ही एक प्रतिनिधिमंडल प्रदेश सरकार से मिलेगा और अपनी मांगों को लेकर आधिकारिक मांग पत्र सौंपेगा।
हिमाचल में प्राकृतिक आपदाओं का बढ़ता दायरा
हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक आपदाओं का दायरा लगातार बढ़ रहा है। हाल ही में मंडी जिले के सुंदरनगर उपमंडल में हुए भीषण भूस्खलन ने तबाही मचाई थी । जंगमबाग क्षेत्र में पहाड़ का एक बड़ा हिस्सा अचानक दरक गया, जिसके मलबे में दो मकान दब गए और छह लोगों की मौत हो गई । इस साल मानसून के दौरान भारी वर्षा ने बादल फटने, अचानक बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं को जन्म दिया ।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हाल ही में राज्य को “आपदाग्रस्त” घोषित किया है और राहत कार्यों के लिए केंद्र सरकार से अतिरिक्त सहायता की मांग की है । मंडी जिला इस मानसून सीजन में सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में से एक रहा है, जहां सड़कों, पुलों और पेयजल योजनाओं को भारी नुकसान पहुंचा है । इन आपदाओं ने स्थानीय लोगों की आजीविका को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।
आंदोलन की रूपरेखा और भविष्य की रणनीति
हिमाचल किसान सभाने आगामी आंदोलन की विस्तृत रूपरेखा तय की है। 26 नवंबर को पूरे प्रदेश में जिला मुख्यालय और उपमंडल कार्यालयों पर विशाल प्रदर्शन किया जाएगा। यदि इसके बाद भी प्रभावितों की समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो 19 जनवरी को हर उपमंडल कार्यालय पर फिर से प्रदर्शन आयोजित किए जाएंगे। इस पूरी प्रक्रिया में किसान सभा का प्रतिनिधिमंडल प्रदेश सरकार से लगातार संवाद बनाए रखेगा।
राकेश सिंघा ने कहा कि वे सरकार से उम्मीद करते हैं कि वह इस गंभीर मुद्दे पर संवेदनशीलता दिखाएगी और आपदा पीड़ितों के पुनर्वास के लिए ठोस कदम उठाएगी। किसान सभा का यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक प्रभावितों को उचित मुआवजा और पुनर्वास की सुविधाएं नहीं मिल जातीं। उन्होंने सरकार से तत्काल इस दिशा में सकारात्मक पहल करने का आग्रह किया।
