Mandi News: हिमाचल प्रदेश में पिछले तीन सालों में आई प्राकृतिक आपदाओं ने जल शक्ति विभाग की व्यवस्था को पूरी तरह चरमरा दिया है। राज्य में लगभग दस हजार पेयजल योजनाएं और हजारों सिंचाई योजनाएं बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुई हैं। विभाग ने मरम्मत कार्य के लिए केंद्र सरकार से 4881 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता मांगी है।
आपदा के कारण नदियों और खड्डों के पास बने पंप हाउस सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। इस अनुभव के आधार पर जल शक्ति विभाग अब नई रणनीति बना रहा है। विभाग अब पंप हाउसों को नदियों और नालों से दूर स्थानांतरित करने की योजना बना रहा है। साथ ही पंप हाउस निर्माण के मॉडल में भी बदलाव किया जाएगा।
तीन साल में हजारों करोड़ का नुकसान
साल 2023 के मानसून सीजन में राज्य को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। उस वर्ष 5203 पेयजल योजनाएं और 1237 सिंचाई योजनाएं क्षतिग्रस्त हुईं। कुल 6440 योजनाओं को नुकसान पहुंचा। इससे जल शक्ति विभाग को 2132 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान सहना पड़ा। मंडी, कुल्लू और शिमला जिले सबसे ज्यादा प्रभावित रहे।
साल 2024 में स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। इस साल 5505 पेयजल और 1213 सिंचाई योजनाएं प्रभावित हुईं। कुल 6718 योजनाओं पर असर पड़ा। नुकसान का आंकड़ा 580 करोड़ रुपये रहा। इस साल कांगड़ा और चंबा जिलों में 1244 योजनाओं को 274 करोड़ का झटका लगा।
वर्तमान स्थिति चिंताजनक
साल 2025 में अक्तूबर तक के आंकड़े भी चिंताजनक स्थिति दर्शाते हैं। इस साल अब तक 2786 पेयजल और 733 सिंचाई योजनाएं क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। कुल 3519 योजनाओं पर प्रभाव पड़ा है। जुलाई में ही 676 पेयजल योजनाएं बाधित हो गई थीं। सितंबर तक 333 और योजनाएं प्रभावित हुई हैं।
कुल अनुमानित नुकसान 1291 करोड़ रुपये है। कांगड़ा-चंबा जोन में अकेले 387 करोड़ का नुकसान दर्ज किया गया है। लगातार तीन सालों की आपदाओं ने जल आपूर्ति व्यवस्था पर गंभीर प्रभाव डाला है। विभाग के पास मरम्मत कार्य के लिए पर्याप्त धनराशि का अभाव है।
केंद्र और राज्य से मदद की मांग
उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने हाल ही में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने योजनाओं की मरम्मत के लिए वित्तीय सहायता की मांग रखी। जल शक्ति विभाग ने आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के माध्यम से क्षतिपूर्ति के लिए केंद्र से 4881 करोड़ रुपये की मांग की है।
राज्य सरकार से भी विभाग ने 400 करोड़ रुपये की मांग की है। डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने बताया कि जल शक्ति विभाग की योजनाओं की मरम्मत के लिए राज्य सरकार से भी धन उपलब्ध करवाने को कहा गया है। इसके साथ ही पंपिंग मशीनरी को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से बाहर ले जाने की योजना है।
नए मॉडल पर काम जारी
जल शक्ति विभाग अब आपदा प्रतिरोधी ढांचा विकसित करने पर जोर दे रहा है। नदियों के किनारे बने पुराने पंप हाउसों को स्थानांतरित किया जाएगा। नए पंप हाउस ऊंचे और सुरक्षित स्थानों पर बनाए जाएंगे। इनकी डिजाइन में भी बदलाव किया जाएगा ताकि भविष्य में आपदाओं से नुकसान कम हो।
विभाग का मानना है कि यह कदम भविष्य में होने वाले नुकसान को कम करेगा। पेयजल आपूर्ति में आने वाली बाधाओं को दूर करने में मदद मिलेगी। साथ ही सिंचाई व्यवस्था भी सुचारू रूप से चल सकेगी। यह योजना जल्द ही लागू की जाएगी।
राज्यव्यापी प्रभाव
हिमाचल प्रदेश में कुल 10,067 पेयजल आपूर्ति योजनाएं संचालित हो रही हैं। सिंचाई के तहत दो लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करने वाली लगभग 1500 से अधिक योजनाएं कार्यरत हैं। इनमें से अधिकांश योजनाएं पिछले तीन सालों में आई आपदाओं से प्रभावित हुई हैं।
मंडी, कुल्लू, शिमला, कांगड़ा और चंबा जिलों में स्थिति विशेष रूप से गंभीर बनी हुई है। इन क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति बाधित होने से स्थानीय लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सिंचाई व्यवस्था प्रभावित होने से किसानों की फसलों पर भी असर पड़ा है।
