शनिवार, दिसम्बर 20, 2025

हिमाचल प्रदेश: भारी बारिश के बावजूद, सेब की रिकॉर्ड ढुलाई, मंडियों में पहुंची 1.46 करोड़ पेटियां

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Shimla News: मॉनसून की भारी बारिश और सैकड़ों बंद सड़कों के बावजूद, हिमाचल प्रदेश में इस साल सेब का सीजन जोरों पर है। राज्य से अब तक मंडियों के लिए 1.46 करोड़ सेब पेटियां रवाना की जा चुकी हैं। सरकार और बागबानों की कड़ी मेहनत से परिवहन व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने में सफलता मिली है। शिमला और किन्नौर की मंडी में सबसे ज्यादा सेब पहुंचे हैं।

लगातार हो रही बारिश और भूस्खलन के कारण प्रदेश में 800 से अधिक सड़कें अभी भी बंद हैं। इनमें ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों की लिंक सड़कें हैं, जिससे बागबानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। फिर भी, छोटे वाहनों और लगातार चल रहे सड़क मरम्मत कार्यों की बदौलत सेब की ढुलाई जारी है।

कुल्लू घाटी और शिमला जिले से लगातार सेब से भरे ट्रक मंडियों की ओर रवाना हो रहे हैं। लोक निर्माण विभाग सड़कों को जल्द से जल्द बहाल करने के लिए युद्धस्तर पर काम कर रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य बागबानों का कीमती सामान बर्बाद होने से बचाना है।

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एपीएमसी के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, राज्य से कुल 1,46,49,000 सेब पेटियां विभिन्न मंडियों के लिए रवाना हो चुकी हैं। ये सेब न सिर्फ हिमाचल की स्थानीय मंडियों में, बल्कि देश के अन्य राज्यों की मंडियों में भी भेजे गए हैं। इससे राज्य के अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलने की उम्मीद है।

शिमला-किन्नौर मंडी समूह में सबसे अधिक 94,79,654 पेटियां दर्ज की गई हैं। सोलन मंडी में 21,64,736 पेटियां पहुंची हैं। मंडी जिले की मंडियों में 14,22,885 पेटियां दर्ज की गई हैं। कुल्लू और लाहुल-स्पीति की मंडियों में 14,79,388 पेटियां पहुंच चुकी हैं।

चंबा में 79,880, सिरमौर की पांवटा मंडी में 2,132, ऊना में 6,495, हमीरपुर में 1,835, कांगड़ा में 11,393 और बिलासपुर में 651 सेब पेटियां पहुंची हैं। इन आंकड़ों से साफ है कि सेब उत्पादन में मध्य हिमाचल का योगदान सबसे अधिक है।

इस साल राज्य में कुल सेब उत्पादन ढाई करोड़ पेटियों का अनुमान लगाया गया था। अब तक की गई ढुलाई इस लक्ष्य के करीब पहुंचने का संकेत देती है। रॉयल किस्म के सेब के बाद अब गोल्डन सेब की आवक भी मंडियों में शुरू हो गई है। गोल्डन सेब की मांग बाजार में काफी अच्छी है।

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सेब की त्वरित ढुलाई सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन द्वारा विशेष प्रबंध किए गए हैं। छोटी पिक-अप वैन और चार पहिया ड्राइव वाहनों का इस्तेमाल बढ़ाया गया है। ये वाहन खराब सड़क हालात में भी आसानी से चल सकते हैं। इससे दूरदराज के इलाकों से भी सेब निकालना संभव हो पाया है।

लगातार जारी बारिश ने इस साल सेब की गुणवत्ता को भी प्रभावित किया है। हालांकि, बागबानों ने समय रहते फसल बचाने के लिए कड़ी मेहनत की है। अब सेब का बड़ा हिस्सा सुरक्षित मंडियों तक पहुंच चुका है। इससे किसानों के नुकसान की संभावना कुछ कम हुई है।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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