Shimla News: हिमाचल प्रदेश सरकार ने पंचायती राज व्यवस्था में एक बड़ा बदलाव किया है। पंचायती राज विभाग ने हिमाचल प्रदेश पंचायती राज निर्वाचन नियम, 1994 में संशोधन किया है। इस संशोधन के बाद अब जिला परिषद और पंचायत समितियों की सीमाओं में बदलाव की शक्तियां उपायुक्तों को दी गई हैं। सोमवार को इस संबंध में आधिकारिक अधिसूचना जारी कर दी गई है।
राज्यपाल की मंजूरी के बाद यह अधिसूचना जारी की गई है। नए नियमों के तहत पंचायत निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाओं और आबादी में असमानता को दूर करने का प्रावधान किया गया है। इस संशोधन पर जनता से पंद्रह दिनों के भीतर सुझाव और आपत्तियां आमंत्रित की गई हैं। कोई भी व्यक्ति अपने विचार लिखित रूप में भेज सकता है।
सुझाव भेजने की प्रक्रिया
लोग अपने लिखित सुझाव या आपत्तियां निर्देशक, पंचायती राज विभाग को भेज सकते हैं। विभाग का पता एसडीए कांप्लेक्स, कुसुम्पटी, शिमला है। यह प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से पूरी की जा रही है। सभी हितधारकों को अपनी बात रखने का मौका मिलेगा। इसके बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
उपायुक्त की नई शक्तियां
नए नियमों के अनुसार यदि किसी जिला परिषद क्षेत्र में विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों की आबादी में महत्वपूर्ण अंतर पाया जाता है तो उपायुक्त कार्रवाई कर सकेंगे। वे आपत्तियां और सुझाव प्राप्त करने के बाद पंचायत समितियों की सीमाओं में समायोजन या संशोधन कर सकेंगे। इससे पहले ऐसी शक्तियां उपायुक्तों के पास नहीं थीं।
सीमाओं में बदलाव करते समय उपायुक्तों को कई बातों का ध्यान रखना होगा। भौगोलिक स्थिति, प्रशासनिक सुविधा और जनसंख्या संतुलन मुख्य मानदंड होंगे। इन मानदंडों का पालन करने से प्रत्येक क्षेत्र में समान प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सकेगा। इससे चुनावी प्रक्रिया अधिक न्यायसंगत बनेगी।
यह बदलाव पंचायती राज संस्थाओं के कामकाज में सुधार लाने के उद्देश्य से किया गया है। सरकार का लक्ष्य स्थानीय स्वशासन को मजबूत बनाना है। नए प्रावधानों से चुनावी क्षेत्रों में जनसंख्या के अनुपात में बेहतर संतुलन स्थापित होगा। इससे पंचायतों के कामकाज में दक्षता आने की उम्मीद है।
