Himachal News: हिमाचल प्रदेश के मैदानी इलाकों में सुबह के समय घने कोहरे ने दृश्यता घटा दी। मंडी जिले में ब्यास नदी के आसपास के क्षेत्रों में विजिबिलिटी मात्र 50 मीटर तक सीमित रह गई। बिलासपुर, सुजानपुर, ऊना और सोलन के निचले इलाकों में भी कोहरा छाया रहा। इन क्षेत्रों में दृश्यता लगभग 100 मीटर तक ही रही। मौसम विभाग ने अगले दिन भी इन जिलों में कोहरा छाने की चेतावनी जारी की है।
घने कोहरे का सीधा असर सड़क यातायात पर पड़ा। वाहन चालकों को अत्यधिक सावधानी बरतनी पड़ी। सुबह के समय स्कूल जाने वाले छात्रों को भी परेशानी का सामना करना पड़ा। स्थानीय प्रशासन ने ड्राइवरों को धीमी गति से वाहन चलाने की सलाह दी। हेडलाइट और फॉग लैंप का उपयोग करने के निर्देश जारी किए गए।
मंडी जिले में सबसे कम दृश्यता
मंडीजिले के नदी तटीय इलाकों में स्थिति सबसे अधिक गंभीर रही। ब्यास नदी के किनारे बसे क्षेत्रों में घना कोहरा छाया रहा। यहां दृश्यता घटकर 50 मीटर तक पहुंच गई। इससे स्थानीय लोगों की दिनचर्या प्रभावित हुई। बाजारों और कार्यालयों में लोगों की आवाजाही देर से शुरू हुई। सार्वजनिक परिवहन सेवाओं में भी देरी हुई।
पर्यटन पर भी कोहरे का असर देखने को मिला। सुबह के समय बाहर घूमने वाले पर्यटकों को दिक्कत हुई। सड़क मार्ग से यात्रा करने वाले लोगों को अतिरिक्त समय की आवश्यकता पड़ी। होटल और रिसॉर्ट संचालकों ने भी इस मौसमी बदलाव का असर महसूस किया। सुबह की सैर और बाहरी गतिविधियां सीमित हो गईं।
बिलासपुर और ऊना में कोहरे की स्थिति
बिलासपुर जिलेमें भी घने कोहरे ने लोगों को परेशान किया। यहां दृश्यता लगभग 100 मीटर तक सीमित रही। सुजानपुर क्षेत्र में भी ऐसी ही स्थिति देखने को मिली। ऊना जिले के निचले इलाकों में कोहरे की चादर छाई रही। सोलन के मैदानी भागों में भी दृश्यता प्रभावित हुई। इन सभी क्षेत्रों में सुबह का समय विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण रहा।
किसानों की दिनचर्या पर भी कोहरे का प्रभाव पड़ा। सुबह खेतों में काम शुरू करने में देरी हुई। दूध विक्रेताओं को भी समय पर डेयरी तक पहुंचने में कठिनाई हुई। स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति पर भी असर देखा गया। कई अभिभावकों ने सुरक्षा कारणों से बच्चों को स्कूल न भेजने का निर्णय लिया।
यातायात और परिवहन पर प्रभाव
राज्य परिवहन निगम कीबस services को भी सावधानीपूर्वक संचालित करना पड़ा। कई मार्गों पर बसों की गति कम कर दी गई। निजी वाहन चालकों ने भी अतिरिक्त सतर्कता बरती। हादसों से बचने के लिए लोगों ने गाड़ी चलाते समय अधिक दूरी बनाए रखी। कुछ मुख्य मार्गों पर यातायात की गति धीमी रही।
हवाई यातायात पर भी कोहरे का असर पड़ सकता है। हालांकि राज्य के तीनों मुख्य हवाई अड्डे पहाड़ी इलाकों में स्थित हैं। मैदानी इलाकों में रेल services सीमित हैं। सड़क मार्ग ही यातायात का मुख्य साधन है। कोहरे के कारण लंबी दूरी के वाहनों को भी धीमी गति से चलना पड़ा।
मौसम विभाग की चेतावनी और पूर्वानुमान
मौसम विभाग नेअगले दिन भी इन जिलों में कोहरा छाने की संभावना जताई है। विभाग ने लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है। ड्राइवरों को फॉग लाइट का उपयोग करने को कहा गया है। सुबह के समय अनावश्यक यात्रा से बचने की सिफारिश की गई है। विभाग का मानना है कि तापमान में गिरावट के कारण कोहरा बना है।
हिमाचल प्रदेश में दिसंबर और जनवरी के महीनों में कोहरा एक सामान्य मौसमी घटना है। नदी घाटियों और निचले इलाकों में यह स्थिति अधिक देखने को मिलती है। मौसम विभाग लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए है। नए अपडेट और चेतावनियां जारी की जा रही हैं। लोगों से मौसम बुलेटिन पर नजर रखने की अपील की गई है।
प्रशासनिक तैयारियां और उपाय
स्थानीय प्रशासन नेकोहरे से निपटने के लिए तैयारियां पूरी कर ली हैं। ट्रैफिक पुलिस ने संवेदनशील मार्गों पर अधिकारियों की तैनाती की है। आपातकालीन सेवाओं को पूरी तरह सक्रिय रखा गया है। अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में आपातकालीन व्यवस्था चालू है। फायर ब्रिगेड और बचाव दल भी तैयार स्थिति में हैं।
प्रशासन ने नागरिकों के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं। यातायात संबंधी जानकारी के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। सड़क सुरक्षा के लिए जरूरी दिशा-निर्देश लोगों तक पहुंचाए गए हैं। स्कूल प्रशासन को भी स्थिति के अनुरूप निर्णय लेने की सलाह दी गई है। स्थानीय प्रशासन मौसम के हर बदलाव पर नजर रख रहा है।
कोहरे के कारण और मौसमी परिस्थितियां
मौसम विशेषज्ञोंके अनुसार तापमान में गिरावट और नमी की उपस्थिति कोहरे के मुख्य कारण हैं। हिमाचल के मैदानी इलाकों में सर्दियों में यह स्थिति आम है। नदी घाटियों में कोहरा अधिक सघन होता है। रात के समय तापमान में तेज गिरावट और सुबह शांत वातावरण कोहरे को बनाए रखता है। दिन के समय धूप निकलने पर कोहरा छंट जाता है।
इस मौसम में वायु प्रदूषण का स्तर भी बढ़ जाता है। यह कोहरे को और सघन बना सकता है। पराली जलाने और अन्य स्रोतों से उत्पन्न प्रदूषण भी दृश्यता को प्रभावित करते हैं। मौसम विभाग इन सभी कारकों पर विचार करके अपना पूर्वानुमान जारी करता है। लोगों को वायु गुणवत्ता सूचकांक पर भी नजर रखने की सलाह दी जाती है।
