Shimla News: हिमाचल प्रदेश में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अधिकारों की रक्षा के लिए विशेष कानून बनाने की मांग तेज हो गई है। राज्य गठबंधन के सदस्यों ने सरकार पर आरोप लगाया कि एससी-एसटी उपयोजना केवल कागजों तक सीमित रह गई है। उन्होंने तत्काल “एससी-एसटी विकास निधि एक्ट” बनाने की मांग की।
बजट आवंटन पर सवाल
गठबंधन प्रतिनिधियों डीपी चंद्रा और सुखदेव विश्वप्रेमी ने बताया कि प्रदेश में एससी-एसटी आबादी 33% है लेकिन बजट में केवल 4% हिस्सा दिया जाता है। वर्ष 2023-24 में कुल 42,704 करोड़ रुपये के बजट में से केवल 3,464 करोड़ रुपये आवंटित किए गए। इसमें से सीधे तौर पर केवल 185 करोड़ रुपये ही खर्च हुए।
सरकारी लापरवाही के आरोप
प्रतिनिधियों ने कहा कि फरवरी 2024 में मुख्यमंत्री को ड्राफ्ट बिल सौंपा गया था। दिसंबर 2024 के विधानसभा सत्र में भी मामला उठाया गया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। गठबंधन के बैनर तले दर्जनों संगठन इस आंदोलन से जुड़े हुए हैं।
जन आंदोलन की तैयारी
गठबंधन ने “अभी नहीं तो कभी नहीं” के नारे के साथ आंदोलन तेज करने का फैसला किया है। प्रत्येक जिले में कमेटियां बनाकर हर व्यक्ति तक इस मांग को पहुंचाया जाएगा। प्रतिनिधियों ने चेतावनी दी कि सरकार के कानून बनाने तक संघर्ष जारी रहेगा।
घोषणा पत्र के वादे
गठबंधन ने सरकार से घोषणा पत्र के अनुरूप कानून बनाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि एससी-एसटी समुदाय के विकास के लिए पारदर्शी व्यवस्था जरूरी है। बजट आवंटन का सही उपयोग सुनिश्चित करने के लिए कानूनी ढांचा आवश्यक है।
