शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

हिमाचल प्रदेश: नदियों, खड्डों और नालों में डंप नहीं किया जाएगा मलबा, विशेष डंपिंग साइट होंगे चिह्नित

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Shimla News: हिमाचल प्रदेश सरकार ने बारिश के दौरान आपदा से उत्पन्न मलबे की समस्या का स्थायी समाधान ढूंढने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अब इस मलबे को नदियों, खड्डों और नालों के किनारे डंप नहीं किया जाएगा, बल्कि इसके लिए विशेष डंपिंग साइटें चिह्नित की जाएंगी। मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने संबंधित विभागों के अधिकारियों को इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं। यह कदम राज्य में आपदा प्रबंधन को और मजबूत करने की दिशा में एक बड़ी पहल मानी जा रही है।

राज्य कार्यकारी समिति की 26वीं बैठक में यह अहम फैसला लिया गया। मुख्य सचिव सक्सेना ने बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में पिछली बैठकों में लिए गए निर्णयों पर हुई प्रगति की समीक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया। मलबे के प्रबंधन के मामले में मंडी, कुल्लू, चंबा और शिमला जिलों को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के निर्देश दिए गए हैं।

मलबा हटाने की अनुमति देने का अधिकार अब राज्य स्तर से हटाकर जिला स्तर पर दे दिया गया है। अब जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण इसके लिए जिम्मेदार होंगे। इससे काम में तेजी आने की उम्मीद है। लोक निर्माण विभाग के सचिव को वन, जल शक्ति और एनएचएआई जैसे विभागों के साथ समन्वय बनाकर प्रभावी योजना बनाने का भार दिया गया है।

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बैठक में राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया रिजर्व के मॉडल पर हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रतिक्रिया रिजर्व स्थापित करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी मिली। इस योजना के तहत साल 2023 और 2025 की आपदाओं से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इससे भविष्य में आपदाओं से निपटने की तैयारी में सुधार होगा।

बांध सुरक्षा को लेकर भी चर्चा हुई। बैठक में बांध सुरक्षा अधिनियम 2021 और 2015 के दिशा-निर्देशों के मुताबिक पूर्व चेतावनी प्रणाली स्थापित करने पर जोर दिया गया। राज्य में 25 बड़े बांध पहले ही बन चुके हैं जबकि पांच बांधों का निर्माण कार्य अभी चल रहा है।

मंडी जिले में सार्वजनिक स्थलों से मलबा हटाने के लिए एक प्रस्ताव भी रखा गया। इस काम के लिए एसडीआरएफ और एनडीआरएफ कोष से 78.76 लाख रुपये के इस्तेमाल को बैठक में पूर्वानुमोदन के लिए प्रस्तुत किया गया। यहां से 46,988 घन मीटर मलबा हटाने का लक्ष्य है।

बैठक में राष्ट्रीय भूस्खलन जोखिम शमन कार्यक्रम के तहत एक प्रारंभिक परियोजना रिपोर्ट पर भी विचार हुआ। इस 139 करोड़ रुपये की परियोजना रिपोर्ट को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को भेजा जाएगा। इसके अलावा वन अग्नि जोखिम प्रबंधन योजना के लिए 8.16 करोड़ रुपये की एक और रिपोर्ट पर चर्चा हुई।

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इस महत्वपूर्ण बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव कमलेश कुमार पंत सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। लोक निर्माण विभाग के सचिव अभिषेक जैन, ग्रामीण विकास विभाग के सचिव राजेश शर्मा और आपदा प्रबंधन विभाग के निदेशक डीसी राणा ने भी अपने-अपने विभागों की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की।

यह निर्णय इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि मलबे के अनियोजित डंपिंग से पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य को खतरा था। अब वैज्ञानिक तरीके से मलबे के निपटान की दिशा में काम शुरू होगा। इससे भविष्य में आपदाओं के प्रभाव को कम करने में मदद मिलेगी।

राज्य सरकार का यह कदम एक व्यवस्थित और योजनाबद्ध तरीके से आपदा प्रबंधन की ओर इशारा करता है। डंपिंग साइट चिह्नित करने और जिला स्तर पर अधिकार देने से कार्यों की गति बढ़ने की संभावना है। इससे आम जनता को भविष्य में होने वाली आपदाओं से निपटने में सहूलियत होगी।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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