Shimla News: हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र में गुरुवार को सैस को लेकर तीखी बहस हुई। विपक्ष ने प्रदेश में लगाए जा रहे विभिन्न सैसों की पारदर्शिता और प्रभाव पर सवाल उठाए। उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने स्पष्ट किया कि सरकार सैस के नाम पर आम जनता पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं डालेगी।
दस सैसों से 762 करोड़ का राजस्व
उपमुख्यमंत्री ने सदन को बताया कि प्रदेश में इस समय दस प्रकार के सैस लगाए गए हैं। इनसे सरकार को 762 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है। उन्होंने दावा किया कि अधिकतर सैस पूर्ववर्ती भाजपा सरकार द्वारा लगाए गए थे। सैस का भार मुख्य रूप से बड़े उद्योगपतियों और शराब कारोबारियों पर है।
कोविड सैस और एंबुलेंस सेवा पर सवाल
जसवां-प्रागपुर के भाजपा विधायक बिक्रम ठाकुर ने कोविड सैस और एंबुलेंस सेवा फंड सैस की पारदर्शिता पर सवाल उठाए। उन्होंने पूछा कि कोविड सैस समाप्त होने के बाद एकत्रित राशि का क्या होगा। चंबा जिले में एंबुलेंस सेवा की खराब स्थिति की भी उन्होंने आलोचना की।
सैस के उपयोग के लिए बनेगी एसओपी
उपमुख्यमंत्री ने जवाब में कहा कि कोविड सैस से 145 करोड़ रुपये एकत्रित हुए थे। इस राशि को अभी भी उसी मद में खर्च किया जाएगा। वित्त विभाग सैस के खर्च को लेकर एक सख्त एसओपी तैयार कर रहा है। इससे राजस्व का पारदर्शी उपयोग सुनिश्चित होगा।
विपक्ष ने उठाए आम आदमी पर प्रभाव के सवाल
नैना देवी के भाजपा विधायक रणधीर शर्मा ने कहा कि रेत-बजरी और बिजली पर सैस से आम आदमी प्रभावित हो रहा है। उन्होंने गौशालाओं को समय पर भुगतान न होने का मुद्दा भी उठाया। उपमुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया कि गोवंश विकास निधि का वितरण जल्द होगा।
विभिन्न सैसों से प्राप्त राजस्व का ब्योरा
सदन में दी गई जानकारी के अनुसार पंचायती राज संस्था सैस से 153 करोड़ रुपये प्राप्त हुए। मोटर वाहन सैस से 185 करोड़ और गोवंश विकास निधि से 65.35 करोड़ रुपये मिले। एंबुलेंस सेवा फंड सैस से 16.97 करोड़ रुपये की प्राप्ति हुई। इस राशि से प्रदेश भर में 50 एंबुलेंस खरीदी गई हैं।
