Shimla News: हिमाचल प्रदेश कांग्रेस में अध्यक्ष पद को लेकर चल रही खींचतान के बीच शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि पार्टी उन्हें प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व सौंपती है तो वह अपना मंत्री पद छोड़ने के लिए तैयार हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि वे वर्तमान में मंत्री पद से पूरी तरह संतुष्ट हैं, लेकिन संगठन का भरोसा मिलने पर वह बिना हिचकिचाहट यह जिम्मेदारी लेंगे। इस बयान ने प्रदेश की राजनीति में नई गर्मी पैदा कर दी है।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, हिमाचल प्रदेश कांग्रेस में लगभग एक वर्ष से संगठन का गठन नहीं हुआ है। पूर्व अध्यक्ष प्रतिभा सिंह का कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी वह इस पद पर कार्यरत हैं, लेकिन अब एक नए अध्यक्ष की नियुक्ति की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। इस नियुक्ति को लेकर पार्टी के भीतर काफी चर्चा और मंथन चल रहा है।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के हालिया दिल्ली दौरे के बाद इस मुद्दे पर और गति आई है। दिल्ली से लौटने के बाद सीएम सुक्खू ने सात अक्टूबर को शिमला में घोषणा की थी कि इसी माह के अंत तक कांग्रेस की नई कार्यकारिणी और संगठनिक ढांचे का गठन कर लिया जाएगा। यह बयान पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए एक अहम संकेत था।
अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदार
राजनीतिक गलियारों में अध्यक्ष पद के लिए तीन नाम सबसे ज्यादा चर्चा में हैं। इनमें विधानसभा के उपाध्यक्ष विनय कुमार, शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर और विधायक विनोद सुल्तानपुरी शामिल हैं। माना जा रहा है कि जातीय समीकरण के हिसाब से विनय कुमार इस पद के सबसे प्रबल दावेदार हैं। वहीं, रोहित ठाकुर का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में बना हुआ है।
रोहित ठाकुर के ताजा बयान ने इस रेस को और दिलचस्प बना दिया है। उनकी इस घोषणा से साफ जाहिर होता है कि वह पार्टी संगठन की कमान संभालने के लिए गंभीर हैं। एक मंत्री के लिए यह एक बड़ा फैसला होता है, लेकिन उन्होंने संगठन के प्रति अपनी प्राथमिकता स्पष्ट कर दी है। इससे पार्टी के भीतर उनकी छवि और मजबूत हुई है।
दिल्ली से शिमला तक जारी है चर्चा
प्रदेश अध्यक्ष के पद को लेकर शिमला से लेकर दिल्ली तक लगातार विचार-विमर्श हो रहा है। पार्टी के हाईकमान ने इस मामले में मुख्यमंत्री सुक्खू और प्रदेश के several वरिष्ठ नेताओं के साथ कई दौर की बातचीत की है। इस नियुक्ति का असर आने वाले समय में प्रदेश की राजनीति पर पड़ेगा।
आगामी पंचायत चुनावों को देखते हुए कांग्रेस पार्टी जल्द से जल्द एक मजबूत संगठनिक ढांचा खड़ा करना चाहती है। एक सक्रिय और प्रभावी प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति इस दिशा में एक अहम कदम साबित होगी। पार्टी इस फैसले को अंतिम रूप देने में विशेष सावधानी बरत रही है।
पार्टी के भीतर माना जा रहा है कि रोहित ठाकुर का बयान एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा हो सकता है। इससे न केवल उन्होंने अपनी दावेदारी मजबूत की है, बल्कि पार्टी नेतृत्व के सामने अपनी गंभीरता भी स्पष्ट कर दी है। अब निर्णय पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर है कि वह इस पद के लिए किसे सबसे उपयुक्त मानता है।
फिलहाल, पूरा राज्य इस फैसले का इंतजार कर रहा है कि आखिर हिमाचल प्रदेश कांग्रेस की कमान किसे सौंपी जाती है। इस महीने के अंत तक होने वाली घोषणा से सभी की निगाहें जुड़ी हुई हैं। यह फैसला प्रदेश की राजनीतिक दिशा को नए सिरे से परिभाषित कर सकता है।
