शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

हिमाचल प्रदेश कांग्रेस: एक साल बाद भी नहीं बना प्रदेश अध्यक्ष, जानें क्या चार कार्यकारी अध्यक्षों की हो रही तैयारी

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Himachal News: हिमाचल प्रदेश कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर चल रही उलझन अब भी बरकरार है। पार्टी का संगठन भंग हुए एक साल पूरा होने को आया है, लेकिन नया अध्यक्ष चुनना मुश्किल साबित हो रहा है। इस बीच, गतिरोध को तोड़ने के लिए चार कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति का प्रस्ताव चर्चा में है। माना जा रहा है कि यह फैसला बिहार चुनाव के बाद ही हो पाएगा।

पार्टी सूत्रों के अनुसार, संगठन में संतुलन बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री इसी कारण से एक अध्यक्ष के बजाय चार कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति के पक्ष में हैं। इससे प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों और सामाजिक समीकरणों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सकेगा।

कौन है प्रदेश अध्यक्ष पद की दौड़ में आगे?

नामों पर चल रही चर्चा में कुलदीप राठौर सबसे आगे नजर आ रहे हैं। उन्हें वीरभद्र सिंह के समर्थकों सहित कई वरिष्ठ नेताओं का समर्थन प्राप्त है। शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर भी इस पद के लिए अपनी उम्मीदवारी जता चुके हैं। उन्होंने कहा था कि यदि पार्टी उन्हें यह जिम्मेदारी देती है तो वह तैयार हैं।

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कार्यकारी अध्यक्षों की संभावित सूची में कई नाम शामिल हैं। कांगड़ा संसदीय क्षेत्र से किशोरी लाल, आशीष बुटेल और अजय महाजन के नाम प्रस्तावित हैं। हमीरपुर से विवेक शर्मा और मंडी से सुंदर सिंह ठाकुर का नाम भी चर्चा में है। शिमला से ठियोग के विधायक कुलदीप राठौर भी इनमें शामिल हैं।

सीएम सुक्खू का वादा रहा अधूरा

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अक्टूबर महीने की शुरुआत में ही घोषणा की थी कि इसी महीने के अंत तक नया प्रदेश अध्यक्ष announced हो जाएगा। लेकिन अक्टूबर का आखिरी दिन बचा है और कोई ऐलान होता नहीं दिख रहा। सीएम सुक्खू अब बिहार चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं।

पार्टी के हिमाचल प्रभारी रजनी पाटिल से भी इस मुद्दे पर लगातार बातचीत हो रही है। बुधवार को दिल्ली में डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री और सीएम सुक्खू ने उनसे मुलाकात भी की। इस बैठक के बाद भी कोई स्पष्टता नहीं आ सकी है। सभी नेता फिलहाल बिहार चुनाव पर ध्यान केंद्रित किए हुए हैं।

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पंचायत चुनाव को लेकर दबाव

पार्टी के सामने अगले कुछ महीनों में होने वाले पंचायत चुनाव एक बड़ी चुनौती हैं। एक मजबूत संगठन के बिना इन चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करना मुश्किल होगा। इसीलिए पार्टी कार्यकर्ता जल्द से जल्द नेतृत्व का ढांचा तय किए जाने की मांग कर रहे हैं।

बीते साल छह नवंबर को पार्टी के संगठन को भंग कर दिया गया था। उस समय केवल प्रतिभा सिंह को ही अध्यक्ष पद पर बरकरार रखा गया था। उसके बाद से अब तक पचास से अधिक बैठकें हो चुकी हैं। दिल्ली से लेकर शिमला तक सभी स्तरों पर चर्चा हुई, लेकिन नतीजा सामने नहीं आ सका है।

यह देरी पार्टी के भीतर और बाहर दोनों जगह सवाल खड़े कर रही है। आम आदमी पार्टी जैसे नए प्रतिद्वंद्वियों के उभरने के बाद कांग्रेस के लिए संगठनात्मक एकजुटता और भी जरूरी हो गई है। अगले कुछ हफ्तों में कोई ठोस फैसला होने की उम्मीद की जा रही है।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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