Himachal News: हिमाचल प्रदेश सरकार और राजभवन के बीच कृषि एवं बागबानी विश्वविद्यालय में कुलपति की नियुक्ति को लेकर एक बार फिर टकराव की स्थिति बन गई है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का हवाला देते हुए इस मामले में अधिसूचना जारी करने की तैयारी कर ली है। इससे पहले विधानसभा से पारित संशोधन विधेयक को राजभवन से मंजूरी नहीं मिली थी।
विधेयक के मंजूरी न मिलने के बाद अब सरकार ने सीधे अधिसूचना जारी करने का रास्ता अपनाने का फैसला किया है। इस संबंध में फाइल विधि विभाग को भेज दी गई है। विधि विभाग से मंजूरी मिलते ही सरकार आधिकारिक अधिसूचना जारी कर देगी।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का हवाला
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के उन निर्देशों का हवाला दिया है जिनके अनुसार विधानसभा से विधेयक पारित होने के एक महीने के भीतर निर्णय हो जाना चाहिए। इस मामले में 26 सितंबर तक राजभवन से मंजूरी मिलनी थी जो नहीं मिल पाई। इस आधार पर सरकार अधिसूचना जारी करने जा रही है।
राजस्व एवं बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि विधानसभा से संशोधित विधेयक पारित कर राजभवन को भेजा गया था। राजभवन ने इस पर कुछ बिंदुओं पर अतिरिक्त जानकारी मांगी थी। लेकिन अभी तक मंजूरी नहीं मिली है।
दूसरी बार विधेयक पारित
यह पहली बार नहीं है जब इस विधेयक को लेकर विवाद खड़ा हुआ है। इससे पहले भी सरकार ने यह विधेयक पारित किया था लेकिन उसे राजभवन की मंजूरी नहीं मिली थी। मानसून सत्र में सरकार ने एक बार फिर संशोधन विधेयक पारित किया था।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक पहली बार पारित विधेयक पर तीन महीने के भीतर फैसला होना चाहिए। जबकि दूसरी बार पारित विधेयक पर एक महीने का समय निर्धारित है। सरकार इन्हीं नियमों के आधार पर कार्रवाई कर रही है।
कुलपति नियुक्ति का अधिकार
अधिसूचना जारी होने के बाद कृषि और बागवानी विश्वविद्यालय में कुलपति की नियुक्ति का अधिकार सरकार के पास होगा। इससे राज्यपाल का यह अधिकार समाप्त हो जाएगा। सरकार का मानना है कि इससे नियुक्ति प्रक्रिया में तेजी आएगी।
राजभवन और सरकार के बीच यह टकराव नया नहीं है। पहले भी कई मामलों में दोनों के बीच मतभेद सामने आ चुके हैं। इस मामले में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को अपना आधार बनाया है।
विधि विभाग से मंजूरी का इंतजार
फिलहाल इस मामले की फाइल विधि विभाग के पास है। विधि विभाग से मंजूरी मिलने के बाद ही अधिसूचना जारी की जा सकेगी। सरकार इसके लिए तैयारी पूरी कर चुकी है। अधिसूचना जारी होते ही सरकार कुलपति नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कर सकती है।
इस पूरे मामले ने हिमाचल प्रदेश की राजनीति में नई बहस छेड़ दी है। संवैधानिक संस्थाओं के बीच के रिश्तों पर यह मामला एक नया मोड़ ले रहा है। सरकार और राजभवन के बीच तालमेल की कमी एक बार फिर सामने आई है।
विश्वविद्यालयों में कुलपति पद लंबे समय से खाली चल रहे हैं। इससे शैक्षणिक गतिविधियां प्रभावित हो रही हैं। सरकार का कहना है कि अधिसूचना जारी होने से नियुक्ति प्रक्रिया तेज होगी। इससे विश्वविद्यालयों का कामकाज सुचारू रूप से चल सकेगा।
