शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

हिमाचल प्रदेश: पंचायत चुनावों को लेकर सरकार और निर्वाचन आयोग में टकराव, आपदा को लेकर जारी हुआ आदेश

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Himachal News: हिमाचल प्रदेश में पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव को लेकर सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग के बीच तनाव पैदा हो गया है। मुख्य सचिव संजय गुप्ता ने आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत आदेश जारी कर कहा है कि चुनाव सड़कों के पूरी तरह बहाल होने और स्थितियां सामान्य होने पर ही होंगे। इसके विपरीत, राज्य निर्वाचन आयोग ने इस निर्णय पर सवाल उठाए हैं।

राज्य निर्वाचन आयुक्त अनिल खाची ने स्पष्ट किया कि चुनाव कराना आयोग का विशेष अधिकार क्षेत्र है। उन्होंने कहा कि अभी चुनाव कार्यक्रम की घोषणा भी नहीं हुई है। यदि चुनाव तीन माह बाद प्रस्तावित हैं, तो क्या इतने समय में सड़कों की मरम्मत नहीं हो पाएगी? इस सवाल ने चुनाव की समयसीमा को लेकर बहस छेड़ दी है।

1995 से हो रहे हैं इसी समय चुनाव

निर्वाचन आयुक्त ने एक महत्वपूर्ण तथ्य की ओर ध्यान दिलाया। उन्होंने बताया कि सन 1995 से लेकर आज तक पंचायत चुनाव लगभग इसी समय पर होते आ रहे हैं। इसलिए हिमपात को चुनाव रोकने का कारण बताना उचित नहीं लगता। उनका मानना है कि मौसम की चुनौतियों के बावजूद चुनाव प्रक्रिया सफलतापूर्वक संपन्न कराई जा सकती है।

खाची ने एक व्यावहारिक सुझाव भी दिया। उन्होंने कहा कि जहां बच्चे स्कूल जा रहे हैं, वहीं उनके अभिभावक मतदान भी कर सकते हैं। इससे स्पष्ट है कि आयोग चुनाव कराने के पक्ष में है। आयोग का मत है कि तीन माह पहले ही चुनाव स्थगित करने का आदेश जारी करना उचित नहीं है।

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मुख्य सचिव ने जारी किया आपदा प्रबंधन आदेश

मुख्य सचिव संजय गुप्ता ने अपने आदेश के पीछे का कारण स्पष्ट किया। उन्होंने बताया कि प्रदेश के कई उपायुक्तों ने लिखित में अनुरोध किया था। इन अधिकारियों ने प्राकृतिक आपदा की गंभीरता को देखते हुए चुनाव इस समय न कराने की सिफारिश की थी। जर्जर सड़कों और बर्फबारी ने कई इलाकों का संपर्क टूटने की स्थिति पैदा कर दी है।

मुख्य सचिव के आदेश में स्पष्ट उल्लेख है कि चुनाव ग्रामीण सड़कों के पूरी तरह बहाल होने के बाद ही होंगे। यह निर्णय आपदा प्रबंधन अधिनियम की धाराओं के तहत लिया गया है। इसका उद्देश्य नागरिकों और चुनावकर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

मंत्री का बयान – चुनाव स्थगित नहीं हुए

ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने कहा कि आपदा प्राधिकरण द्वारा जारी पत्र में चुनाव स्थगित करने का कोई उल्लेख नहीं है। उस पत्र में केवल सड़कों की वर्तमान खराब स्थिति के बारे में जानकारी दी गई है। मंत्री ने दावा किया कि सरकार की चुनाव स्थगित करने की कोई मंशा नहीं है।

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मंत्री के अनुसार, चुनावी प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि चुनाव न तो स्थगित किए गए हैं और न ही किए जाएंगे। यह बयान मुख्य सचिव के आदेश के विपरीत प्रतीत होता है, जिससे भ्रम की स्थिति बनी हुई है।

3577 पंचायतों के चुनाव प्रभावित

हिमाचल प्रदेश में कुल 3577 पंचायतें हैं। इन सभी के चुनाव इस विवाद के केंद्र में हैं। मुख्य सचिव द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, पंचायत चुनाव दिसंबर और जनवरी में प्रस्तावित थे। लेकिन शीतलहर और भारी हिमपात के कारण इन्हें कराना चुनौतीपूर्ण माना जा रहा है।

राज्य निर्वाचन आयोग ने इस तर्क को चुनौती दी है। आयोग का मानना है कि ऐतिहासिक रूप से इसी अवधि में चुनाव संपन्न होते रहे हैं। मौसम की समस्या नया मुद्दा नहीं है। इसलिए अचानक इसे प्रमुख बाधा के रूप में पेश करना आश्चर्यजनक है।

यह विवाद संवैधानिक निकायों और कार्यपालिका के बीच अधिकार क्षेत्र के मुद्दे को उजागर करता है। अंतिम निर्णय कौन लेगा, यह प्रश्न अभी अनुत्तरित है। पंचायत चुनावों का समय अब इसी बात पर निर्भर करेगा कि यह विवाद कैसे सुलझता है।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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