Shimla News: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विधानसभा में अवैध खनन के मामले पर कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने स्पष्ट किया कि अवैध खनन में शामिल किसी भी प्रभावशाली व्यक्ति को नहीं बख्शा जाएगा। सीएम ने कहा कि पुलिस और प्रशासन पूरी निष्पक्षता से जांच कर रहे हैं। दोषियों के खिलाफ कानून की कठोरतम धाराएं लागू होंगी।
सुजानपुर में अवैध खनन का मामला
पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि सुजानपुर क्षेत्र में एक स्टोन क्रेशर अवैध खनन में लगा हुआ है। इस क्रेशर को पिछले वर्ष जुलाई में आधिकारिक रूप से बंद दिखाया गया था। 12 अगस्त को अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में पुलिस दल ने छापेमारी की। भारी बारिश के बावजूद टीम मौके पर पहुंची और कार्रवाई की।
पुलिस द्वारा जब्त की गई सामग्री
छापे के दौरान पुलिस ने एक पोकलेन और दो जेसीबी मशीनें जब्त कीं। चार टिपर और एक मिक्सर भी कब्जे में लिए गए। करीब 50 खनन सामग्री से लदे टिपर भी पाए गए। स्टोन क्रेशर परिसर से डीवीआर और मनवीर सिंह नामक व्यक्ति का ट्रैक्टर भी सुरक्षित किया गया।
जांच में सामने आए महत्वपूर्ण तथ्य
जांच में पाया गया कि बरसात के मौसम में खनन पर पूर्ण प्रतिबंध था। क्रेशर की लीज सरकारी भूमि पर थी और 15 मार्च 2024 से यह बंद घोषित था। तब भी यहां जेसीबी और टिपर से अवैध खनन जारी रहा। खनन विभाग के अधिकारियों को रॉयल्टी की जांच के लिए शामिल किया गया है।
मालिकों की पहचान और कार्यवाही
क्रेशर मालिक ने 4 नवंबर 2024 को अपने भतीजे उमेश शर्मा को पॉवर ऑफ अटॉर्नी दी थी। उमेश शर्मा सड़क एवं पुल निर्माण कंपनी का मालिक है। प्रवीण शर्मा, उमेश शर्मा और उनके सहयोगियों ने अदालत में अग्रिम जमानत की याचिका दायर की है। इनकी सुनवाई 24 सितंबर को तय है।
अधिकारियों की मिलीभगत की आशंका
सीएम सुक्खू ने कहा कि अवैध खनन में कुछ अधिकारी-कर्मचारियों की मिलीभगत की आशंका है। उन्होंने कहा कि सामाजिक और राजनीतिक रिश्तों का दुरुपयोग कर अवैध कारोबार को बढ़ावा दिया गया। सीएम ने स्पष्ट किया कि ऐसे अवैध खनन बिना किसी प्रभावशाली संरक्षण के संभव नहीं होते।
