Shimla News: मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने कहा है कि विकास कार्यों की योजना बनाते समय भविष्य की चुनौतियों को ध्यान में रखना जरूरी है। शुक्रवार को सतत विकास पर राज्य स्तरीय संचालन समिति की बैठक में उन्होंने इस पर जोर दिया। बैठक में आगामी राज्य मानव विकास रिपोर्ट पर चर्चा हुई।
मुख्य सचिव ने जलवायु परिवर्तन के मद्देनजर राज्य सरकार के प्रयासों की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि कृषि, जल और वानिकी आपस में जुड़े हुए क्षेत्र हैं। एक में व्यवधान से दूसरे पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। उन्होंने इन चुनौतियों के समाधान के लिए एकजुट होकर काम करने की आवश्यकता बताई।
विकास की रणनीति
वरिष्ठ अधिकारियों ने हिमाचल प्रदेश में सतत विकास सुनिश्चित करने की रणनीति पर विचार-विमर्श किया। उन्होंने निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए व्यापक अभियान शुरू करने का सुझाव दिया। सक्सेना ने विभागों को मौजूदा संसाधनों और चुनौतियों से निपटने के निर्देश दिए।
मुख्य सचिव ने नियोजन प्रक्रिया के लिए समग्र दृष्टिकोण अपनाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि भौगोलिक परिस्थितियों और स्थानीय जरूरतों को ध्यान में रखना चाहिए। पिछले कुछ वर्षों में राज्य को प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ा है।
राज्य की भूमिका
सक्सेना ने जलवायु संरक्षण और सतत विकास को बढ़ावा देने की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि सतत विकास में हिमाचल को आदर्श बनाने के लिए कई कारकों पर विचार करना चाहिए। राज्य की ऐतिहासिक प्रगति और देश में इसकी भूमिका महत्वपूर्ण है।
बैठक में यूएनडीपी की प्रतिनिधि अमी मिश्रा ने राज्य मानव विकास रिपोर्ट पर प्रस्तुति दी। इसमें जलवायु कार्रवाई नीति और शासन के संबंध में जानकारी शामिल थी। कई वरिष्ठ अधिकारी इस बैठक में उपस्थित थे।
