Mandi News: हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश और बाढ़ से हुई तबाही के बीच मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राज्य में आपदा प्रबंधन अधिनियम लागू किया है। इस कदम से राज्य सरकार को राहत कार्यों को तेज करने की विशेष शक्तियां मिल गई हैं। विधानसभा ने भी इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का प्रस्ताव पारित किया है।
राज्य सरकार को मिलेंगी यह विशेष शक्तियां
आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण अब त्वरित निर्णय ले सकेगा। सरकार स्कूलों को बंद करने और सार्वजनिक संपत्ति का उपयोग करने का आदेश दे सकती है। राहत कार्यों में बाधा डालने वालों के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान भी है। इससे प्रशासनिक कार्यवाही में तेजी आएगी।
राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग
हिमाचल विधानसभा ने केंद्र सरकार से इस आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का अनुरोध किया है। इसका फैसला राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण करेगा। राष्ट्रीय आपदा की स्थिति में केंद्र से अतिरिक्त धन और संसाधनों की मदद मिलती है। एनडीआरएफ की विशेष टीमों का भी समर्थन प्राप्त होता है।
केंद्र राज्य के संबंधों पर असर
यह मांग केंद्र में सत्तारूढ़ दल और राज्य सरकार के बीच तालमेल की परीक्षा लेती है। केंद्र के सकारात्मक जवाब से राहत कार्यों को बल मिलेगा। अनदेखी की स्थिति में राजनीतिक मतभेद उभर सकते हैं। विधानसभा में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित होना एकजुटता का संकेत है।
जनता को होगा सीधा लाभ
अधिनियम लागू होने से आम नागरिकों को तत्काल राहत मिलेगी। सरकार अब तेजी से बुनियादी ढांचे की मरम्मत कर सकेगी। राहत शिविरों और चिकित्सा सुविधाओं का विस्तार किया जा सकेगा। संसाधनों के आवंटन में देरी भी कम होगी।
आर्थिक नुकसान का अनुमान
प्रारंभिक अनुमानों के मुताबिक राज्य को तीन हजार पांच सौ साठ करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। सड़कों और पुलों के नेटवर्क को गंभीर क्षति पहुंची है। बिजली और पानी की आपूर्ति प्रणाली भी बाधित हुई है। पुनर्निर्माण कार्यों में काफी समय और संसाधन लगेंगे।
जलवायु परिवर्तन से जोड़ा मुद्दा
मुख्यमंत्री सुक्खू ने इस आपदा को जलवायु परिवर्तन से जोड़ा है। इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस मुद्दे पर चर्चा को बल मिलेगा। पहाड़ी राज्यों की विशेष जरूरतों पर ध्यान केंद्रित होगा। भविष्य में ऐसी घटनाओं के लिए तैयारी की रणनीति बनेगी।
Author: Adv. Hem Singh Thakur
