शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

हिमाचल प्रदेश: 70 हजार श्रद्धालुओं की भीड़ के साथ चालदा महासू यात्रा ने रचा इतिहास

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Himachal News: सिरमौर जिले के गिरिपार क्षेत्र में एक ऐतिहासिक धार्मिक यात्रा ने नया अध्याय जोड़ा है। छत्रधारी चालदा महासू महाराज की जातर यात्रा रविवार तड़के सिरमौर के द्राबिल पहुंची। उत्तराखंड से हिमाचल आई इस यात्रा में साठ से सत्तर हजार श्रद्धालु शामिल थे। भारी भीड़ के कारण आठ किलोमीटर का अंतिम सफर पूरा करने में यात्रा को नौ घंटे लग गए।

द्राबिल पहुंचने पर चालदा महासू की पालकी का स्थानीय बोठा महासू की पालकी से मिलन कराया गया। यह दृश्य अत्यंत भव्य और आध्यात्मिक था। पूरा क्षेत्र महाराज के जयकारों से गूंज उठा। यह यात्रा आठ दिसंबर को उत्तराखंड के दसऊ से शिलाई के रास्ते शुरू हुई थी। यह सत्तर किलोमीटर की एक पैदल प्रवास यात्रा है।

यात्रा ने दिखाई सामाजिक समरसता

इस यात्रामें धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक संरक्षण की अनूठी मिसाल देखने को मिली। रविवार दोपहर तीन बजे यात्रा ने द्राबिल से पश्मी गांव के लिए प्रस्थान किया। इस सोलह किलोमीटर के अगले चरण में भी हजारों श्रद्धालु शामिल थे। यात्रा के साथ हिमाचल सरकार के उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान भी मौजूद थे।

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नाहन के विधायक अजय सोलंकी ने भी इस यात्रा में विशेष रूप से भाग लिया। अनुमान था कि पश्मी तक का यह सफर बारह घंटे में पूरा होगा। यात्रा सोमवार की सुबह तीन बजे पश्मी स्थित नवनिर्मित महासू मंदिर पहुंचेगी। इस मंदिर का हाल ही में जीर्णोद्धार किया गया है।

अठासी हजार लोगों के लिए विशाल भंडारा

पश्मीगांव में सोमवार को एक विशाल भंडारे का आयोजन किया जाएगा। इस भंडारे में लगभग अस्सी हजार श्रद्धालुओं के लिए भोजन तैयार होगा। भोजन बनाने के लिए सात सौ पचास गांवों के स्वयंसेवक और कारीगर लगाए गए हैं। यह भंडारा इस यात्रा का मुख्य आकर्षण माना जा रहा है।

यह पहली बार है जब चालदा महासू महाराज की यात्रा पश्मी गांव पहुंची है। इसकी पृष्ठभूमि में एक दिलचस्प घटना है। वर्ष 2020 में दसऊ से एक विशाल बकरा पश्मी पहुंचा था। ग्रामीणों ने शुरू में इसे साधारण घटना माना। दो साल बाद इसे महासू महाराज के आगमन का दिव्य संकेत बताया गया।

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इस संकेत के बाद पश्मी गांव के ग्रामीणों ने सामूहिक प्रयास किया। उन्होंने करीब दो करोड़ रुपये की लागत से गांव में महासू मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया। इस तैयारी के बाद अब यह ऐतिहासिक यात्रा पश्मी पहुंची है। यह घटना क्षेत्र की गहरी आस्था को प्रदर्शित करती है।

हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में महासू महाराज को न्याय के देवता के रूप में पूजा जाता है। चालदा महासू उन्हीं का एक रूप हैं। यह यात्रा सदियों पुरानी परंपरा का हिस्सा है। यह दो राज्यों के लोगों की सांस्कृतिक एकता को भी मजबूत करती है। यात्रा के दौरान राष्ट्रीय राजमार्ग 707ए पर भीषण भीड़ जमा थी।

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