Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में निर्माण गतिविधियों को सुव्यवस्थित करने के लिए मंत्रिमंडलीय उप समिति का गठन किया है। इस समिति का उद्देश्य अनियंत्रित निर्माण पर नियंत्रण और ग्रामीण क्षेत्र विकास दिशा-निर्देशों की समीक्षा करना है। समिति को एक माह के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।
मुख्य सचिव संजय गुप्ता ने इस संबंध में अधिसूचना जारी की है। समिति की अध्यक्षता राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी करेंगे। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह, लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह और नगर एवं ग्राम नियोजन मंत्री राजेश धर्माणी समिति के सदस्य होंगे।
प्राकृतिक आपदाओं के मद्देनजर समिति का गठन
प्रदेश सरकार का यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब हाल के वर्षों में राज्य ने भारी प्राकृतिक आपदाओं का सामना किया है। इस वर्ष मानसून में कई जिलों में भूस्खलन और भवन ध्वस्त होने की घटनाएं हुई हैं। इन घटनाओं में जन-धन की भारी क्षति हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि अनियोजित निर्माण ने आपदाओं के प्रभाव को बढ़ाया है।
सरकार चाहती है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को न्यूनतम किया जाए। ग्रामीण क्षेत्रों में निर्माण वैज्ञानिक और पर्यावरणीय दृष्टि से सुरक्षित हो। समिति विभिन्न विभागों और हितधारकों से परामर्श लेकर व्यावहारिक दिशा-निर्देश तैयार करेगी। इससे ग्रामीण विकास को नई दिशा मिलेगी।
समिति के दायरे और जिम्मेदारियां
समिति ग्रामीण क्षेत्रों में निर्माण की अनुमति प्रक्रिया की समीक्षा करेगी। भवन की ऊंचाई और भूमि उपयोग संबंधी मानकों पर विचार करेगी। जल निकासी और पर्यावरणीय प्रभाव जैसे पहलुओं को संतुलित करने के उपाय सुझाएगी। भूस्खलन संभावित क्षेत्रों के लिए विशेष मानक अपनाने पर विचार किया जाएगा।
ग्रामीण विकास विभाग के सचिव को समिति का सदस्य सचिव नामित किया गया है। समिति को आवश्यक सुधारात्मक सुझाव प्रस्तुत करने हैं। यह सुनिश्चित करना है कि ग्रामीण निर्माण पूरी तरह सुरक्षित और वैज्ञानिक हो। समिति की सिफारिशों के आधार पर नई नीति बनेगी।
ग्रामीण विकास को नई दिशा
सरकार का मानना है कि यह पहल प्रदेश के गांवों में सुनियोजित विकास की दिशा तय करेगी। इससे अवैध निर्माण पर रोक लगेगी और ग्रामीण स्तर पर रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा। पर्यटन संवर्धन और प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा सुनिश्चित होगी। ग्रामीण क्षेत्रों का समग्र विकास संभव हो सकेगा।
समिति की सिफारिशें ग्रामीण इलाकों में स्थायी विकास का मार्ग प्रशस्त करेंगी। नए दिशा-निर्देश पर्यावरण संरक्षण और विकास के बीच संतुलन स्थापित करेंगे। स्थानीय जरूरतों और भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप नीति बनेगी। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
समिति की कार्यप्रणाली और समयसीमा
समिति विभिन्न विभागों के अधिकारियों और विशेषज्ञों से परामर्श करेगी। हितधारकों की राय लेकर व्यावहारिक दिशा-निर्देश तैयार करेगी। समिति को एक माह के भीतर अपनी रिपोर्ट सरकार को प्रस्तुत करनी है। इस अवधि में समिति गहन विचार-विमर्श और अध्ययन करेगी।
रिपोर्ट में मौजूदा व्यवस्था की कमियों और सुधार के उपाय शामिल होंगे। निर्माण मानकों और अनुमति प्रक्रिया को सरल बनाने के सुझाव दिए जाएंगे। आपदा प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए दिशा-निर्देश तैयार किए जाएंगे। इससे ग्रामीण निर्माण को पेशेवर रूप देना संभव होगा।
