शनिवार, दिसम्बर 20, 2025

हिमाचल प्रदेश: नदी-नालों के किनारे अब नहीं बन सकेंगे भवन, ग्रामीण निर्माण के लिए सख्त नियम

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Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में निर्माण को लेकर बड़ा फैसला लिया है। अब नदियों और नालों के किनारे कोई भी निर्माण कार्य नहीं होगा। गांवों में भी मंजूरी वाले नक्शों के आधार पर ही भवन बनाए जा सकेंगे। प्रदेश कैबिनेट ने ग्रामीण निर्माण गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए नए मॉडल उप नियमों को मंजूरी दी है।

राज्य मंत्रिमंडल ने यह निर्णय हाल के मानसून सीजन में आई भारी तबाही को देखते हुए लिया है। इस साल बारिश ने राज्य में व्यापक नुकसान पहुंचाया था। कई इमारतें क्षतिग्रस्त हो गई थीं। यह नुकसान मुख्यतः नदियों में आई बाढ़ और भूस्खलन के कारण हुआ था।

नए नियमों के तहत, पंचायतें तकनीकी सहायकों या जांच एजेंसियों की मदद से भवन नक्शों की जांच करेंगी। जांच पूरी होने के बाद इन नक्शों को स्वीकृति के लिए ग्रामसभा में पेश किया जाएगा। इस प्रक्रिया से पारदर्शिता बढ़ेगी और अनियंत्रित निर्माण पर रोक लगेगी।

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मंजूरी प्रक्रिया में भवन के आकार के आधार पर अलग-अलग नियम लागू होंगे। 500 वर्ग मीटर तक के भवनों के नक्शे सिंगल लाइन स्केच पर स्वीकृत किए जाएंगे। वहीं, 1000 वर्ग मीटर से छोटे प्लॉट के नक्शों के लिए डबल लाइन प्लान जरूरी होगा।

डबल लाइन प्लान में कमरों और रसोई की सटीक ले आउट जानकारी दिखानी होगी। यह कदम इमारतों की संरचनात्मक मजबूती सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। उचित जल निकासी और मजबूत नींव आपदा के जोखिम को कम करेगी।

पिछले मानसून सीजन में राज्य को भारी नुकसान झेलना पड़ा था। वर्ष 2023 और 2024 में हुई आपदाओं में 579 पक्के और 89 कच्चे मकान पूरी तरह से ध्वस्त हो गए थे। अधिकांश घटनाएं नदियों के किनारे हुईं थीं।

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पहले से मौजूद नियम

ग्रामीण क्षेत्रों में 1000 वर्ग मीटर से बड़े निर्माण पहले से ही नियोजन विभाग की मंजूरी के अधीन हैं। नए नियम इसी रूपरेखा को और मजबूत बनाते हैं। ये छोटे निर्माणों पर भी नजर रखेंगे। पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने बताया कि नए मॉडल उप नियम जनता के हितों को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं। इन्हें कैबिनेट की बैठक में agenda के रूप में रखा गया और मंजूरी मिल गई है।

इस फैसले का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में योजना बद्ध विकास को बढ़ावा देना है। साथ ही, प्राकृतिक आपदाओं के कारण होने वाली जान-माल की क्षति को कम करना है। यह कदम पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी महत्वपूर्ण है।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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