Sirmour News: हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में दो भाइयों द्वारा एक ही लड़की से शादी करने का मामला एक बार फिर चर्चा में है। दुल्हन सुनीता ने पहली बार सोशल मीडिया पर अपनी भावनाएं साझा की हैं। उन्होंने अपने दोनों पतियों के लिए प्यार भरा संदेश लिखा है। यह शादी स्थानीय जौड़ीदार प्रथा के तहत हुई है। इस प्रथा के तहत एक महिला की शादी एक परिवार के कई भाइयों से होती है। यह प्रथा संपत्ति के बंटवारे को रोकने और परिवार की आर्थिक एकजुटता बनाए रखने का एक पारंपरिक तरीका मानी जाती है।
भाई कपिल नेगी के विदेश नौकरी पर लौटने के बाद यह मामला फिर से सुर्खियों में आ गया है। कपिल के बहरीन जाने के बाद उनके भाई प्रदीप नेगी ने सोशल मीडिया पर एक भावनात्मक पोस्ट लिखी। उन्होंने बचपन की यादों को साझा करते हुए कपिल की कमी महसूस करने की बात कही। प्रदीप ने लिखा कि उनके बिना घर की रौनक खो सी गई है। उन्होंने कपिल को जल्दी लौटने के लिए कहा।
इसके जवाब में दुल्हन सुनीता ने भी अपनी भावनाएं व्यक्त कीं। उन्होंने लिखा, ‘हर नई चीज़ अच्छी लगती है, पर तेरी पुरानी यादें को बेहद अच्छी लगती है। मिस यू बोथ ऑफ माई पाटनर्स एंड लव यू!’ यह पहला मौका है जब सुनीता ने सार्वजनिक रूप से इस शादी पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उनके इस संदेश ने सोशल मीडिया पर काफी चर्चा तेज कर दी है।
पारंपरिक प्रथा का इतिहास
जौड़ीदार प्रथा का सिरमौर जिले और उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में लंबा इतिहास रहा है। यह प्रथा मुख्य रूप से हाटी समुदाय में प्रचलित है। कई मामलों में एक महिला की शादी पांच भाइयों से भी होती है। इसे स्थानीय भाषा में पांचली प्रथा कहा जाता है। यह प्रथा आमतौर पर उन परिवारों में देखी जाती है जहां आर्थिक संसाधन सीमित होते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य जमीन और संपत्ति का बंटवारा रोकना होता है।
परिवार के सदस्यों के अनुसार, दोनों भाइयों के पिता का हाल ही में निधन हो गया था। उन्हें कैंसर की बीमारी थी। इस दुखद घटना ने परिवार को गहरा सदमा पहुंचाया था। दोनों भाइयों ने सोशल मीडिया पर अपने पिता के निधन का दर्द भी साझा किया था। परिवार के सदस्यों का मानना है कि इस कठिन समय में परिवार का एक साथ रहना और भी महत्वपूर्ण हो गया है।
सामाजिक प्रतिक्रिया और कानूनी पहलू
इस शादी ने सोशल मीडिया पर व्यापक बहस छेड़ दी है। कई लोग इस पारंपरिक प्रथा का समर्थन करते हैं। वे इसे सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा मानते हैं। वहीं कुछ लोगों ने इसकी आलोचना भी की है। उनका मानना है कि यह प्रथा आधुनिक समय में उचित नहीं है। हालांकि स्थानीय लोग इस प्रथा को दशकों से अपनाते आ रहे हैं। वे इसे अपनी सामाजिक और आर्थिक आवश्यकताओं का हिस्सा मानते हैं।
भारतीय कानून में बहुपतित्व यानी एक महिला का कई पुरुषों से विवाह को मान्यता नहीं दी गई है। हिंदू विवाह अधिनियम 1955 भी इसकी अनुमति नहीं देता है। फिर भी स्थानीय समुदायों में यह प्रथा सदियों से चली आ रही है। अधिकारी आमतौर पर इन पारंपरिक प्रथाओं में हस्तक्षेप नहीं करते हैं। वे इसे स्थानीय संस्कृति और रीति-रिवाजों का हिस्सा मानते हैं।
परिवार की वर्तमान स्थिति
परिवार अब धीरे-धीरे सामान्य जीवन में लौट रहा है। कपिल के विदेश चले जाने के बाद प्रदीप और सुनीता घर पर हैं। परिवार के पास कृषि योग्य भूमि है जिसकी देखभाल अब प्रदीप कर रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तरह की शादियां आमतौर पर सहमति से होती हैं। सभी पक्ष शादी से पहले इस व्यवस्था को स्वीकार करते हैं। परिवार के सदस्य एक-दूसरे के साथ मिलजुल कर रहते हैं।
इस मामले ने राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया है। कई लोग इस अनूठी सामाजिक व्यवस्था के बारे में जानने में रुचि दिखा रहे हैं। समाजशास्त्री इसे पर्वतीय क्षेत्रों की विशिष्ट सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों का परिणाम मानते हैं। उनका कहना है कि कठिन भौगोलिक परिस्थितियों और सीमित संसाधनों ने ऐसी प्रथाओं को जन्म दिया है। यह प्रथा समुदाय की जीवित बचना रणनीति का हिस्सा रही है।
स्थानीय निवासी इस प्रथा को लेकर खुले तौर पर बात करते हैं। वे इसे अपनी सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा मानते हैं। हालांकि नई पीढ़ी में अब धीरे-धीरे बदलाव देखने को मिल रहा है। शिक्षा और रोजगार के नए अवसरों ने युवाओं की सोच को प्रभावित किया है। फिर भी कई परिवार अब भी इन पारंपरिक प्रथाओं का पालन करते हैं। वे इसे अपनी सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के रूप में देखते हैं।
