Himachal News: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेरचौक मेडिकल कॉलेज दौरे के दौरान बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। बल्ह विधानसभा क्षेत्र के भाजपा विधायक इंद्र सिंह गांधी और अन्य नेता मेडिकल कॉलेज के बाहर धरने पर बैठ गए हैं। यह विरोध अटल मेडिकल यूनिवर्सिटी को सरकाघाट स्थानांतरित करने की सरकारी घोषणा के खिलाफ है।
भाजपा नेताओं ने मुख्यमंत्री के दौरे के ठीक समय पर इस धरने की योजना बनाई। विधायक इंद्र सिंह गांधी के नेतृत्व में जिला परिषद अध्यक्ष पाल वर्मा और कार्यकर्ता नेरचौक मेडिकल कॉलेज परिसर के बाहर एकजुट हुए। उनका मुख्य आरोप है कि सरकार बिना उचित कारण बल्ह से मेडिकल यूनिवर्सिटी हटा रही है।
विधायक ने सरकार पर उठाए सवाल
इंद्र सिंह गांधी ने मीडिया से बातचीत में स्पष्ट किया कि मुख्यमंत्री ने 15 अगस्त को अटल मेडिकल यूनिवर्सिटी को सरकाघाट स्थानांतरित करने की घोषणा की थी। उन्होंने बताया कि सरकार ने सरकाघाट में जमीन देखने के आदेश भी जारी कर दिए हैं। विधायक ने इस निर्णय की मंशा पर सवाल उठाया।
उन्होंने जोर देकर कहा कि यूनिवर्सिटी वर्ष 2019 से बल्ह में सफलतापूर्वक कार्य कर रही है। उनके अनुसार यहां कैंपस निर्माण के लिए पर्याप्त जगह उपलब्ध है। विधायक ने पूछा कि इतनी अच्छी सुविधाएं होने के बावजूद सरकार यूनिवर्सिटी को क्यों स्थानांतरित करना चाहती है।
धरना वापसी की शर्तें स्पष्ट
विधायक ने स्पष्ट किया कि मुख्यमंत्री के बल्ह दौरे के दौरान उनका स्वागत किया जाएगा। साथ ही वह अपनी मांग मुख्यमंत्री के समक्ष रखेंगे। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर मुख्यमंत्री ने उनकी मांग पर सहमति जताई तो वह धरना समाप्त कर देंगे। अन्यथा प्रदर्शन और उग्र रूप ले सकता है।
इस राजनीतिक विवाद ने मुख्यमंत्री के दौरे को नया मोड़ दे दिया है। स्थानीय लोगों का ध्यान अब मेडिकल कॉलेज की घोषणाओं से हटकर इस विरोध प्रदर्शन पर केंद्रित हो गया है। यह स्थिति सरकार के लिए नई चुनौती पेश कर रही है।
यूनिवर्सिटी स्थानांतरण की पृष्ठभूमि
अटल मेडिकल यूनिवर्सिटी का बल्ह में सफल संचालन इस विवाद का केंद्र बिंदु है। विरोध कर रहे नेताओं का मानना है कि स्थानांतरण से क्षेत्र के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। उनका तर्क है कि शैक्षणिक संस्थानों का बार-बार स्थान बदलना उचित नहीं है।
मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में इस तरह के निर्णयों का व्यापक प्रभाव देखने को मिलता है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे फैसले छात्रों और शिक्षकों दोनों को प्रभावित करते हैं। इसलिए इन पर व्यापक विचार-विमर्श आवश्यक हो जाता है।
इस विवाद ने हिमाचल प्रदेश की राजनीति में नया मोड़ ला दिया है। विपक्षी दलों को सरकार के खिलाफ एक नया मुद्दा मिल गया है। अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री इस चुनौती का सामना कैसे करते हैं। इस मेडिकल कॉलेज विवाद ने प्रदेश की स्वास्थ्य शिक्षा नीतियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
