Shimla News: हिमाचल प्रदेश भाजपा ने सरकारी जमीन पर दशकों से बसे नागरिकों के हितों की रक्षा के लिए एक विशेष समिति का गठन किया है। प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने ‘जमीन बचाओ, मकान बचाओ’ समिति की स्थापना की घोषणा की। इस समिति का मुख्य उद्देश्य राज्य भर में सरकारी भूमि पर रह रहे नागरिकों को बेदखली से बचाना है।
समिति के संयोजक भाजपा के वरिष्ठ प्रवक्ता एवं विधायक त्रिलोक जम्वाल बनाए गए हैं। सदस्य सचिव के रूप में प्रदेश उपाध्यक्ष बिहारी लाल शर्मा की नियुक्ति हुई है। समिति के अन्य सदस्यों में विधायक सुधीर शर्मा, मुख्य प्रवक्ता राकेश जम्वाल और प्रदेश उपाध्यक्ष बलबीर वर्मा शामिल हैं।
लोगों की समस्याओं पर समिति का फोकस
विधायक सुधीर शर्मा ने कहा कि प्रदेश भर के दिहाड़ी मजदूर और किसान आज बेघर होने के कगार पर पहुंच गए हैं। ये लोग कई पीढ़ियों से सरकारी भूमि पर रह रहे हैं। कांग्रेस सरकार के ढुलमुल रवैये ने इनकी स्थिति और कठिन बना दी है। भाजपा ने संकल्प लिया है कि यह लड़ाई निर्णायक मोड़ तक ले जाएगी।
उन्होंने स्पष्ट किया कि पार्टी की लड़ाई केवल वंचित वर्ग के लिए है। भूमिहीनों को फिर से भूमिहीन होने से बचाना मुख्य लक्ष्य है। समिति इन लोगों के कानूनी अधिकारों की रक्षा के लिए काम करेगी। सरकार के सामने इन मुद्दों को प्रभावी ढंग से उठाया जाएगा।
कानूनी प्रावधानों की जानकारी
हिमाचल प्रदेश भू-राजस्व अधिनियम, 1954 की धारा 163 सामान्य भूमि पर अतिक्रमण रोकने से संबंधित है। इसके तहत राजस्व अधिकारी अतिक्रमण करने वाले को भूमि से बेदखल कर सकते हैं। यह कार्रवाई स्वयं या किसी सह-मालिक के आवेदन पर की जा सकती है।
धारा 163-ए सरकारी भूमि पर अतिक्रमण नियमित करने का प्रावधान करती थी। यह धारा राज्य सरकार को अतिक्रमण नियमित करने की शक्ति देती थी। इसके तहत सरकारी भूमि पर कब्जे को कानूनी मान्यता दी जा सकती थी। अब यह धारा कानूनी विवादों में घिर गई है।
न्यायालय के महत्वपूर्ण फैसले
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने 5 अगस्त 2025 को धारा 163-ए को असंवैधानिक घोषित कर दिया। इस फैसले ने सरकारी भूमि पर बसे लोगों की मुश्किलें बढ़ा दीं। सितंबर 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के फैसले पर यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया।
सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्देश से बेदखली के खतरे का सामना कर रहे किसानों को राहत मिली है। अब मामले की अगली सुनवाई तक स्थिति में कोई बदलाव नहीं होगा। यह निर्देश हजारों परिवारों के लिए एक बड़ी राहत के रूप में आया है।
भूमि नियमितीकरण की पृष्ठभूमि
हिमाचल में भूमि नियमितीकरण नीति के लिए 1.65 लाख लोगों ने आवेदन किया था। यह नीति साल 2002 में बनाई गई थी। इसके तहत सरकारी भूमि पर अतिक्रमण करने वालों से आवेदन मांगे गए थे। नीति में 5 बीघा तक भूमि के नियमितीकरण का प्रावधान था।
पूर्व भाजपा सरकार ने भू-राजस्व अधिनियम में संशोधन कर धारा 163-ए जोड़ी थी। इसके तहत लोगों को 5 से 20 बीघा तक जमीन देने का फैसला लिया गया था। अगस्त 2002 में हाईकोर्ट ने प्रक्रिया जारी रखने के आदेश दिए थे। हालांकि पट्टा देने से इनकार कर दिया गया था।
समिति की भावी योजनाएं
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने समिति के गठन को एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि यह समिति प्रभावित लोगों की कानूनी लड़ाई में मदद करेगी। समिति विधायकों और कानून विशेषज्ञों को मिलाकर बनाई गई है। इसका कार्यकाल जारी रहेगा जब तक मुद्दे का समाधान नहीं हो जाता।
समिति के संयोजक त्रिलोक जम्वाल ने कहा कि वे जल्द ही प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करेंगे। लोगों की समस्याओं को सीधे तौर पर समझा जाएगा। कानूनी विकल्पों पर विचार किया जाएगा। राज्य सरकार से इस मामले में सकारात्मक रुख अपनाने की अपील की जाएगी।
