Himachal News: हिमाचल प्रदेश सरकार ने नशे के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी जंग छेड़ दी है। पिछले तीन साल में पुलिस की कार्रवाई ऐतिहासिक रही है। इस दौरान हिमाचल प्रदेश में एनडीपीएस एक्ट के तहत 5642 मामले दर्ज किए गए हैं। पुलिस ने बड़ी सफलता हासिल करते हुए 8216 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। साथ ही 36 किलोग्राम से ज्यादा खतरनाक ‘चिट्टा’ बरामद किया गया है। सरकार ने राज्य को नशा मुक्त बनाने का संकल्प लिया है।
हैरान करने वाले आंकड़े
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पुलिस प्रशासन ने ड्रग माफिया की कमर तोड़ दी है। पिछले तीन वर्षों में करीब 36.657 किलोग्राम चिट्टा पकड़ा गया है। इसके अलावा भारी मात्रा में अन्य नशीले पदार्थ भी जब्त हुए हैं। एक सरकारी प्रवक्ता ने रविवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश सरकार नशे के कारोबार को जड़ से मिटाने के लिए प्रतिबद्ध है। यह कार्रवाई युवाओं के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए की जा रही है।
सीएम सुक्खू का कड़ा संदेश
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने इसे केवल अभियान नहीं, बल्कि एक निर्णायक युद्ध बताया है। उन्होंने साफ कहा कि हिमाचल प्रदेश में नशा बेचने वालों के लिए कोई जगह नहीं है। शिमला और धर्मशाला में आयोजित ‘वॉकथॉन’ में हजारों लोग शामिल हुए। सीएम ने धर्मशाला में स्पष्ट किया कि अपराधी चाहे कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो, उसे जेल भेजा जाएगा। बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
तस्करों को होगी फांसी और उम्रकैद
सरकार ने कानूनी शिकंजा भी कस दिया है। कैबिनेट ने एंटी नार्कोटिक्स टास्क फोर्स का विलय करके एक एकीकृत स्पेशल टास्क फोर्स (STF) बनाई है। नए विधेयकों में बेहद सख्त सजा के प्रावधान शामिल किए गए हैं:
- नशा तस्करों को मृत्युदंड दिया जा सकता है।
- दोषियों को आजीवन कारावास की सजा होगी।
- 10 लाख रुपये तक का भारी जुर्माना लगाया जाएगा।
- नशा माफिया की संपत्ति जब्त की जाएगी।
गांव और स्कूलों तक पहुंची मुहिम
नशे के खिलाफ लड़ाई अब जनआंदोलन बन चुकी है। हिमाचल प्रदेश के हर गांव और पंचायत में नशा निवारण समितियां बनाई जा रही हैं। शिक्षा विभाग स्कूलों के पाठ्यक्रम में नशा विरोधी अध्याय शामिल कर रहा है। सरकार का मकसद पुलिस, शिक्षा विभाग और आम जनता को साथ लेकर चलना है। इससे नई पीढ़ी को नशे के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक किया जा सकेगा।
