Shimla News: हिमाचल प्रदेश सरकार ने करदाताओं को बकाया कर मामलों को निपटाने का एक और मौका दिया है। राज्य सरकार ने हिमाचल प्रदेश सद्भावना विरासत मामले निपटान योजना 2025 का दूसरा चरण शुरू किया है। इसके तहत करदाता 30 नवंबर तक पुराने बकाया करों का एकमुश्त भुगतान कर सकते हैं। इस योजना का उद्देश्य जीएसटी लागू होने से पहले के लंबित कर मामलों का समाधान करना है।
यह योजना वैट, केंद्रीय बिक्री कर, प्रवेश कर, मनोरंजन कर और विलासिता कर से जुड़े बकाया मामलों पर लागू होती है। इस बार पेट्रोलियम उत्पादों से संबंधित मामले भी इसमें शामिल किए गए हैं। वर्ष 2020-21 तक के पेट्रोलियम उत्पादों के बकाया मामले इस योजना के दायरे में आएंगे। इससे करदाताओं को कानूनी दांव-पेच से मुक्ति मिलेगी।
30 हजार लंबित मामले
प्रदेश सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि इस समय हिमाचल प्रदेश में लगभग 30 हजार कर मामले लंबित हैं। इन मामलों का निपटारा करने के लिए यह योजना शुरू की गई है। इस योजना के दूसरे चरण से राज्य सरकार को लगभग 10 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय की उम्मीद है। आबकारी एवं कराधान विभाग ने सभी बकायादारों से इस योजना का लाभ उठाने की अपील की है।
पहले भी रही सफल
इससे पहले भी राज्य सरकार ने ऐसी चार योजनाएं चलाई थीं जो काफी सफल रहीं। वर्ष 2020 में हिमाचल प्रदेश विरासत मामले निपटान योजना के तहत 14,814 मामले निपटाए गए थे। इससे सरकार को 393.21 करोड़ रुपये की वसूली हुई थी। इस सफलता के बाद सरकार ने इन योजनाओं को जारी रखने का निर्णय लिया।
वर्ष 2021 में हिमाचल प्रदेश स्वर्ण जयंती योजना शुरू की गई। इस योजना के अंतर्गत 20,642 मामलों का निपटारा किया गया। इससे राज्य सरकार को 19.16 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ। इन योजनाओं ने करदाताओं और सरकार दोनों के लिए फायदेमंद साबित हुई हैं।
49,160 मामलों का निपटारा
सद्भावना विरासत मामले निपटान योजना-2025 के पहले चरण में 12,813 मामले निपटाए गए। इससे 40.31 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ। एक अन्य चरण में 898 मामलों का निपटारा कर 15.03 करोड़ रुपये की प्राप्ति हुई। इस प्रकार अब तक कुल 49,160 से अधिक मामलों का सफलतापूर्वक निपटारा किया जा चुका है।
इन सभी योजनाओं से हिमाचल प्रदेश सरकार को कुल 467.71 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व मिला है। यह राशि राज्य के विकास कार्यों में उपयोग की जा रही है। करदाताओं को भी इससे कानूनी जटिलताओं से मुक्ति मिल रही है। न्यायालयों के बोझ में भी कमी आई है।
राजस्व सुदृढ़ीकरण
आबकारी एवं कराधान विभाग का मानना है कि इस योजना से राजस्व सुदृढ़ीकरण में मदद मिलेगी। जीएसटी लागू होने के बाद पुराने कर कानूनों के तहत लंबित मामलों का निपटारा जरूरी था। इस योजना के माध्यम से करदाता बिना किसी कानूनी परेशानी के अपने बकाया मामले निपटा सकते हैं। इससे उनका समय और धन दोनों बचेगा।
विभाग ने सभी बकायादारों से 30 नवंबर की अंतिम तिथि से पहले इस योजना का लाभ उठाने का आग्रह किया है। इसके लिए विभाग की वेबसाइट पर आवेदन किया जा सकता है। करदाता अपने नजदीकी कर कार्यालय से भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। यह योजना राज्य और करदाताओं के बीच सद्भावना बढ़ाने का काम कर रही है।
