Shimla News: हिमाचल प्रदेश सरकार ने प्रदेश के 100 सरकारी स्कूलों को सीबीएसई बोर्ड से संबद्ध करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। राज्य शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. राजेश शर्मा ने इस कदम को छात्रों और जनता के हित में बताया है। उन्होंने कहा कि यह मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का विजन है जिससे अभिभावक भी खुश हैं। इस पहल का मकसद छात्रों को राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं के लिए तैयार करना है।
डॉ. शर्मा ने एक अकादमिक बैठक को संबोधित करते हुए यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस निर्णय से छात्रों के सर्वांगीण विकास को बल मिलेगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि हिमाचल बोर्ड और सीबीएसई के पाठ्यक्रम में बहुत अधिक अंतर नहीं है। हालांकि, सीबीएसई का पाठ्यक्रम जेईई और नीट जैसी परीक्षाओं के लिए बेहतर आधार प्रदान करता है।
इस बदलाव से पहले प्रदेश के छात्र दिल्ली जैसे शहरों के छात्रों से प्रतिस्पर्धा में पिछड़ जाते थे। अब ऐसा नहीं होगा और स्थानीय छात्रों को बराबर का मौका मिलेगा। यह कदम शिक्षा के क्षेत्र में समान अवसर की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। सरकार का लक्ष्य शिक्षा की गुणवत्ता को नए स्तर पर ले जाना है।
छात्रों की रुचि के अनुसार शिक्षा
डॉ. शर्मा ने बताया कि छात्रों को बेहतर शिक्षा देने के लिए एक नया मोबाइल एप्लिकेशन भी विकसित किया जा रहा है। इस एप के जरिए छात्रों की रुचि के अनुसार विषयों के बारे में पूछा जाएगा। फिर उनकी रुचि के हिसाब से ही उन्हें शिक्षित किया जाएगा। इस व्यक्तिगत दृष्टिकोण का उद्देश्य छात्रों की प्रतिभा को निखारना है।
यह एप शिक्षण प्रक्रिया को और अधिक रोचक और प्रभावी बनाएगा। इससे छात्रों को अपनी पसंद के विषयों को गहराई से समझने का मौका मिलेगा। शिक्षा बोर्ड का यह प्रयास आधुनिक तकनीक का लाभ उठाकर शिक्षा को बेहतर बनाने की दिशा में है। इससे स्व-अध्ययन को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
प्रश्न पत्र बैंक से मिलेगी मदद
बोर्ड पिछले 15 वर्षों में परीक्षाओं में पूछे गए प्रश्नों की एक सूची भी तैयार करेगा। इस प्रश्न पत्र बैंक का उद्देश्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों की मदद करना है। इस संसाधन से छात्रों को परीक्षा के पैटर्न और महत्वपूर्ण टॉपिक्स को समझने में आसानी होगी।
यह कदम छात्रों की तैयारी को और मजबूत बनाएगा। इससे उन्हें अपनी कमजोरियों को पहचानने और उन पर काम करने का अवसर मिलेगा। बोर्ड द्वारा उपलब्ध कराया गया यह प्रश्न बैंक एक विश्वसनीय अध्ययन सामग्री के रूप में काम करेगा। इस तरह की पहल से छात्रों का आत्मविश्वास बढ़ेगा।
हिमाचल प्रदेश में पहले से ही कई सीबीएसई स्कूल हैं लेकिन वे ज्यादातर निजी क्षेत्र में हैं। सरकारी स्कूलों को सीबीएसई से जोड़ने का मतलब है कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा अब सरकारी स्कूलों के छात्रों को भी आसानी से मिल सकेगी। इससे शिक्षा के क्षेत्र में सार्वजनिक और निजी स्कूलों के बीच की खाई कम होगी।
हिमाचल बोर्ड का भविष्य
डॉ. शर्मा ने इस बात पर जोर दिया कि सीबीएसई संबद्धता का मतलब हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड का अंत नहीं है। बोर्ड बना रहेगा और उसे और विकसित किया जाएगा। उनका लक्ष्य हिमाचल बोर्ड को इतना मजबूत बनाना है कि भविष्य में सीबीएसई भी इससे प्रेरणा ले।
बोर्ड के कर्मचारियों की चिंताओं को दूर करते हुए डॉ. शर्मा ने कहा कि सभी कर्मचारियों का भविष्य सुरक्षित रहेगा। उन्होंने कर्मचारियों को आश्वासन दिया कि ऐसा कोई कदम नहीं उठाया जाएगा जिससे उन्हें नुकसान हो। बोर्ड में वर्तमान में लगभग 350 कर्मचारी कार्यरत हैं।
उन्होंने कहा कि परिवर्तन प्रकृति का नियम है और एक दरवाजा बंद होता है तो दूसरा खुल जाता है। कर्मचारियों को नए बदलावों के लिए खुद को तैयार करना होगा। सरकार कर्मचारियों के हितों का पूरा ध्यान रखेगी। इस संक्रमणकाल में सभी का सहयोग जरूरी है।
शिक्षकों की भूमिका और प्रशिक्षण
डॉ. शर्मा ने माना कि 100 स्कूलों को सीबीएसई से जोड़ना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। लेकिन उन्होंने विश्वास जताया कि हिमाचली लोग किसी भी बाधा को पार करना जानते हैं। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए शिक्षकों को अधिक मेहनत करनी होगी।
शिक्षकों को सीबीएसई के पाठ्यक्रम और शिक्षण पद्धति के अनुसार खुद को ढालना होगा। इसके लिए बोर्ड की ओर से शिक्षकों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इन प्रशिक्षणों से शिक्षकों को नए सिस्टम में काम करने में आसानी होगी।
शिक्षकों के प्रशिक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा ताकि छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके। इस पूरी प्रक्रिया में शिक्षकों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण मानी जा रही है। उनके सहयोग से ही मुख्यमंत्री के इस विजन को साकार किया जा सकेगा। यह बदलाव प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में एक नया अध्याय जोड़ेगा।
