Himachal News: हिमाचल प्रदेश में प्रतिबंधित तंबाकू उत्पादों की खुलेआम बिक्री को लेकर सवाल उठ रहे हैं। सत्रह दिसंबर को रोहड़ू में एसडीएम और पुलिस थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई गई थी। शिकायत में खैनी, जर्दा और गुटखा की चार गुना दामों पर बिक्री का आरोप लगाया गया था।
शिकायत दर्ज होने के बावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इस बीच सरकार द्वारा बीड़ी, सिगरेट और तंबाकू बेचने के लिए लाइसेंस व्यवस्था लागू करने की तैयारी चल रही है। इस नई व्यवस्था पर सरकार के इरादों पर सवाल उठ रहे हैं।
शिकायत का विवरण
सत्रह दिसंबर को रोहड़ू के एसडीएम कार्यालय और पुलिस थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई गई। शिकायत में बताया गया कि बाजार में प्रतिबंधित तंबाकू उत्पाद खुलेआम बिक रहे हैं। इन उत्पादों में खैनी, जर्दा और गुटखा शामिल हैं।
यह उत्पाद चार गुना अधिक दामों पर बेचे जा रहे हैं। शिकायतकर्ता ने इसे कालाबाजारी और कानून का खुला उल्लंघन बताया। मौखिक शिकायतों के बाद लिखित शिकायत दर्ज कराई गई। लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
नई लाइसेंस व्यवस्था
सरकार बीड़ी, सिगरेट और तंबाकू बेचने के लिए नई लाइसेंस व्यवस्था ला रही है। इस पर सवाल उठ रहे हैं कि जब प्रतिबंधित उत्पाद बिना लाइसेंस बिक रहे हैं तो नई व्यवस्था का क्या औचित्य है। सरकार की मंशा पर संदेह जताया जा रहा है।
सिगरेट पर पहले से चालीस प्रतिशत टैक्स लगता है। नए लाइसेंस शुल्क को राजस्व बढ़ाने का तरीका बताया जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे सरकारी आय तो बढ़ेगी लेकिन तंबाकू नियंत्रण पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा।
व्यापार का आकार
हिमाचल प्रदेश में बीड़ी और सिगरेट बेचने वालों की बड़ी संख्या है। राज्य में लगभग चार हजार पंचायतें और नगरपालिकाएं हैं। हर पंचायत में दस से बीस दुकानें इस तरह की हैं। इस हिसाब से व्यापार का आकार काफी बड़ा है।
नई लाइसेंस व्यवस्था से सरकारी राजस्व में वृद्धि होगी। हालांकि आशंका जताई जा रही है कि इससे भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा मिल सकता है। छोटे व्यापारियों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ सकता है।
प्रशासन की भूमिका
प्रतिबंध के बावजूद तंबाकू उत्पादों की खुली बिक्री जारी है। इससे प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि यह बिक्री प्रशासन की मिलीभगत के बिना संभव नहीं है।
अवैध वसूली की भी खबरें सामने आ रही हैं। तंबाकू विक्रेताओं से होलसेल स्तर पर अवैध धन वसूला जा रहा है। इससे भ्रष्टाचार का एक नया चक्र चल रहा है। प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं दिख रही है।
सरकार की नीतियां
सरकार की नीतियों में विरोधाभास साफ दिख रहा है। एक ओर तंबाकू उत्पादों पर प्रतिबंध लगाया गया है। दूसरी ओर उनकी बिक्री के लिए नई लाइसेंस व्यवस्था लाई जा रही है। इससे सरकार के इरादों पर संदेह पैदा हो रहा है।
लोगों का मानना है कि सरकार को जनहित के बजाय आय बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए। स्वास्थ्य के मुद्दे पीछे छूट रहे हैं। कानून लागू करने के बजाय नए राजस्व स्रोत ढूंढे जा रहे हैं। इससे जनता में असंतोष बढ़ रहा है।
भ्रष्टाचार के आरोप
तंबाकू व्यापार में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लग रहे हैं। प्रतिबंधित उत्पादों की बिक्री जारी है। इसके लिए प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत बताई जा रही है। व्यापारी और अधिकारी दोनों इससे लाभान्वित हो रहे हैं।
नई लाइसेंस व्यवस्था से भ्रष्टाचार के नए रास्ते खुल सकते हैं। लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया में अनियमितताओं की आशंका है। पारदर्शिता के अभाव में यह व्यवस्था विवादों में घिर सकती है। सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।
