Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को सदन का माहौल अत्यधिक गरमा गया। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का such दौर चला जिसके परिणामस्वरूप विपक्षी सदस्यों ने एक दिन में ही तीन बार सदन से वॉकआउट किया। इस हंगामे के कारण विधानसभा की कार्यवाही को पांच मिनट के लिए स्थगित भी करना पड़ा था।
प्रश्नकाल के दौरान पहली बार विपक्ष ने वॉकआउट किया। स्वास्थ्य मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल के हिम केयर योजना से संबंधित जवाब से असंतुष्ट होकर विपक्षी सदस्यों ने नारेबाजी की और सदन से बाहर चले गए। हालांकि वे कुछ ही देर बाद वापस सदन में लौट आए। इस घटना ने सदन के तनावपूर्ण माहौल की शुरुआत कर दी।
प्रश्नकाल के बाद स्थिति और बिगड़ गई जब राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर पर टिप्पणी की। नेगी के बयान के बाद विपक्षी सदस्यों में भारी आक्रोश देखने को मिला। सदस्य अपनी सीटों से उठकर जोरदार नारेबाजी करने लगे जिससे सदन का कार्य बाधित हुआ।
विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने सदन में शांति बनाए रखने का पूरा प्रयास किया। उन्होंने दोनों पक्षों से शांत बैठकर कार्यवाही आगे बढ़ाने का आग्रह किया। लेकिन विपक्षी सदस्यों ने अध्यक्ष की अपील को नहीं माना और दूसरी बार सदन से बाहर निकल गए। इस दौरान मंत्री नेगी ने पूर्व मुख्यमंत्री पर गंभीर आरोप लगाए।
इसके बाद जब सदन की कार्यवाही फिर से शुरू हुई तो अध्यक्ष ने शून्यकाल की शुरुआत की। लेकिन विपक्षी सदस्य लगातार शोरगुल मचाते रहे और कार्यवाही में बाधा डालते रहे। इस अव्यवस्थित माहौल में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भी अपनी बात रखी। मुख्यमंत्री ने राजस्व मंत्री को बोलने का अवसर देने का अनुरोध किया।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने सदन में स्पष्ट किया कि विपक्ष का वॉकआउट सरकार के कामकाज पर कोई प्रभाव नहीं डालेगा। उन्होंने कहा कि सरकार जनता के हित में काम करना जारी रखेगी। इस पूरे विवाद के बीच सदन की कार्यवाही चलती रही लेकिन तनाव का माहौल बना रहा। विपक्ष की ओर से लगातार हंगामा करने की कोशिश की गई।
अंततः सदन ने अपना कार्य जारी रखा और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई। इस पूरी घटनाक्रम ने राज्य की राजनीतिक उथल-पुथल को एक बार फिर उजागर कर दिया है। विधानसभा सत्र के दौरान इस प्रकार के विवादों ने जनप्रतिनिधियों के बीच बढ़ते मतभेदों को स्पष्ट रूप से दर्शाया है। सरकार और विपक्ष के बीच इस तरह का टकराव लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा माना जाता है।
