शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

हिमाचल प्रदेश विधानसभा: सदन में कोरम संकट और पंचायत चुनाव पर जंग ने ठप कराई कार्यवाही

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Himachal News: धर्मशाला के तपोवन में हिमाचल प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र जनहित के मुद्दों पर चर्चा के बजाय सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखे टकराव का गवाह बना। सत्र के पहले तीन दिनों के दौरान सदन में कोरम पूरा न होने के चलते कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी, जबकि विधानसभा परिसर के अंदर और बाहर दोनों जगह राजनीतिक ठनी रही। पंचायत चुनाव को लेकर शुरू हुई इस जंग में विपक्ष की रणनीति सरकार के सामने कारगर साबित नहीं हुई।

विधानसभा सत्र की शुरुआत में ही पंचायत चुनाव को लेकर विपक्ष ने सरकार पर जमकर हमला बोला। भाजपा चाहती थी कि इस मुद्दे पर सदन में व्यापक बहस हो, जिसे सरकार ने स्वीकार भी कर लिया। हालांकि, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विपक्ष के सभी आरोपों का तथ्यात्मक जवाब देते हुए उनकी रणनीति पर पलटवार किया। सीएम सुक्खू ने शिमला नगर निगम चुनाव में हुई देरी के विपक्ष के आरोप का जवाब देते हुए उन्हें ही उनकी आंतरिक गुटबाजी के मुद्दे पर घेर दिया .

सत्र के तीसरे दिन स्थिति और बिगड़ गई जब भाजपा विधायकों ने सदन के अंदर सक्रिय भूमिका नहीं निभाई। इसके चलते प्रश्नकाल की कार्यवाही महज एक औपचारिकता बनकर रह गई। विपक्ष द्वारा पहले से तय रणनीति के तहत इस कदम ने सदन के सामान्य कामकाज को प्रभावित किया। दोपहर बाद तक हालात यह हो गए कि सदन में एक के बाद एक सीटें खाली होने लगीं, जिससे कोरम पूरा नहीं हो सका .

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कार्यवाही बाधित होते देख विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया को हस्तक्षेप करना पड़ा। उन्होंने सदन में उपस्थिति कम होने के कारण कार्यसूची में शामिल कामकाज को अगले गैर-सरकारी कार्य दिवस के लिए स्थगित करने का आदेश दिया। इससे पहले अध्यक्ष ने पक्ष और विपक्ष के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए सख्ती से दोनों पक्षों को शांत करने का प्रयास भी किया था .

सदन के बाहर का माहौल भी कम गर्म नहीं था। सत्र के तीसरे दिन सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले भाजपा विधायक विधानसभा के मुख्य द्वार के पास विरोध प्रदर्शन करते नजर आए। उधर, सत्ता पक्ष के विधायक केंद्र सरकार द्वारा प्रदेश की उपेक्षा किए जाने के मुद्दे को लेकर विरोध जता रहे थे। हालांकि दोनों पक्षों के प्रदर्शन के दौरान किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना होने से बचने में सफलता मिली .

इस सत्र से पहले ही विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने सर्वदलीय बैठक बुलाकर सभी दलों से सत्र के सहज संचालन के लिए सहयोग की अपील की थी। उन्होंने जोर देकर कहा था कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा का एक गरिमामयी इतिहास रहा है और सदन का समय जनहित के मुद्दों पर सार्थक चर्चा में ही बितना चाहिए . इस सत्र के दौरान विधायकों ने आपदा प्रबंधन, सड़क निर्माण, स्वास्थ्य सुविधाओं के उन्नयन और रोजगार जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर बहस की उम्मीद की थी .

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सरकार और विपक्ष के बीच यह टकराव तब हुआ है जब इस शीतकालीन सत्र को ऐतिहासिक माना जा रहा था। इस बार सत्र की अवधि आठ दिनों की रखी गई है, जो अब तक का सबसे लंबा शीतकालीन सत्र है . सत्र के दौरान सदन में कुल 744 प्रश्न पूछे जाने हैं, जिनमें से 604 तारांकित और 140 अतारांकित प्रश्न शामिल हैं . पहली बार यह सभी प्रश्न ऑनलाइन प्रक्रिया के माध्यम से प्राप्त हुए हैं, जो पेपरलेस विधानसभा की दिशा में एक कदम है .

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सदन में दिए अपने जवाबों के दौरान सरकार की उपलब्धियों और भविष्य की योजनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार के तीन साल पूरे होने पर कोई जश्न नहीं मनाया जाएगा, बल्कि राज्य के लिए उनके विजन को साझा किया जाएगा। इसके अलावा उन्होंने स्मार्ट बिजली मीटर लगाने जैसी योजनाओं की जानकारी भी दी .

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