Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश की शिमला और किन्नौर जिले की फल मंडियों में सेब का सीजन पूरी तरह समाप्त हो गया है। इस वर्ष एपीएमसी में पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 60 लाख अतिरिक्त सेब की पेटियों का कारोबार हुआ। मौसम अनुकूल रहने से पैदावार अच्छी हुई लेकिन कम दामों के कारण बागबानों को अपेक्षित लाभ नहीं मिल सका। बीते वर्ष एक पेटी पांच हजार रुपये तक में बिकी थी जबकि इस बार अधिकतम मूल्य 4200 रुपये ही रहा।
सेब के दामों में गिरावट
बीते सत्र में 20 किलो की सेब की पेटी अधिकतम पांच हजार रुपये में बिकी थी। इस वर्ष इसकी कीमत अधिकतम 4200 रुपये तक ही पहुंच पाई। बागबानों का मानना है कि सरकार द्वारा एमआईएस के तहत सेब खरीद केंद्र देर से खोलने से बाजार में कम गुणवत्ता का सेब आया। इससे दाम गिरने का माहौल बना। किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पाया।
कारोबार के आंकड़े
अक्तूबर तक सभी लदानी फल मंडी से जा चुके हैं। एपीएमसी के आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष अक्तूबर तक फल मंडियों में एक करोड़ 79 लाख 23 हजार 908 पेटियों का कारोबार हुआ। इसमें मार्केटिंग यार्ड के अंदर 74 लाख 77 हजार 658 पेटियां और बाहर एक करोड़ चार लाख 46 हजार 250 पेटियां पहुंची। पिछले वर्ष यह आंकड़ा एक करोड़ 21 लाख 957 पेटियों का था।
सीजन में बदलाव
आढ़तियों के अनुसार इस वर्ष जिले में सेब सीजन बीते वर्ष की तुलना में जल्दी शुरू और जल्दी खत्म हुआ। हालांकि किन्नौर जिले की टापरी फल मंडी में अभी भी सेब की फसल पहुंच रही है। मौसम में बदलाव के कारण फलों के पकने और सीजन की अवधि पर प्रभाव पड़ रहा है। किसानों को इसके अनुसार अपनी रणनीति बनानी पड़ रही है।
फल मंडियों में कारोबार बढ़ने के बावजूद बागबान संतुष्ट नहीं हैं। उनका मानना है कि उत्पादन लागत बढ़ने के साथ-साथ बाजार भाव में गिरावट से उन्हें नुकसान उठाना पड़ा। सरकारी नीतियों में समयबद्धता की कमी ने भी इस स्थिति को जन्म दिया। अगले सीजन के लिए किसान बेहतर मूल्य और समर्थन की उम्मीद कर रहे हैं।
