Himachal News: हिमाचल प्रदेश के 45 हजार आउटसोर्स कर्मचारी वेतन न मिलने को लेकर नाराज हैं। कर्मचारियों ने करवाचौथ से पहले वेतन जारी न होने पर गहरी नाराजगी जताई है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र वेतन नहीं मिला तो वे प्रदेशव्यापी आंदोलन करने को मजबूर होंगे। कर्मचारियों ने नियमितीकरण की ठोस नीति बनाने की मांग भी की है। ये कर्मचारी लगभग दो दशक से सरकारी कार्यालयों में कार्यरत हैं।
कर्मचारियों की मुख्य मांगें और समस्याएं
प्रदेश के आउटसोर्स कर्मचारी समय पर वेतन और नियमितीकरण की मांग को लेकर एकजुट हो रहे हैं। इन कर्मचारियों को औसतन 10 से 12 हजार रुपए मासिक वेतन मिल रहा है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की बजट घोषणा के अनुसार इनके मानदेय को 12,750 रुपए किया जाना है। कर्मचारियों का कहना है कि बढ़ती महंगाई के बीच उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। वे सरकार से अपनी समस्याओं के प्रति संवेदनशील रवैया अपनाने की मांग कर रहे हैं।
कर्मचारी संघ ने जताई नाराजगी
हिमाचल प्रदेश आउटसोर्स कर्मचारी महासंघ के पूर्व अध्यक्ष शैलेंद्र शर्मा ने सरकार की कार्रवाई पर गंभीर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि करवाचौथ से पहले कर्मचारियों को वेतन न मिलना सरकार की उदासीनता को दर्शाता है। शर्मा ने न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए कर्मचारियों के शीघ्र नियमितीकरण की मांग की। उन्होंने कहा कि दिवाली की तैयारियों के समय कर्मचारियों को वित्तीय समस्याओं का सामना न करना पड़े।
लंबे समय से चल रहा है संघर्ष
ये 45 हजार कर्मचारी लगभग 20 वर्षों से विभिन्न सरकारी विभागों में कार्यरत हैं। इनका कहना है कि वे दिन-रात प्रशासनिक व्यवस्था को चलाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। इसके बावजूद उन्हें उचित मानदेय और सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। कर्मचारियों ने स्पष्ट किया कि यदि उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो वे बड़े आंदोलन के लिए तैयार हैं। उन्होंने सरकार से तत्काल वेतन जारी करने का आग्रह किया।
सरकारी विभागों पर प्रभाव की आशंका
इन आउटसोर्स कर्मचारियों के आंदोलन पर उतरने की स्थिति में राज्य के सरकारी विभागों के कामकाज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। ये कर्मचारी विभिन्न महत्वपूर्ण विभागों में कार्यरत हैं और उनके बिना प्रशासनिक कार्य बाधित हो सकते हैं। कर्मचारी नेताओं का मानना है कि सरकार को इस समस्या को गंभीरता से लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि त्योहारी सीजन में कर्मचारियों की वित्तीय समस्याओं का समाधान शीघ्र किया जाना चाहिए।
भविष्य की कार्ययोजना
कर्मचारी संगठनों ने सरकार के सामने अपनी मांगों को रखने के लिए एक कार्ययोजना तैयार की है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि जल्द ही उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो वे विरोध प्रदर्शन शुरू कर देंगे। कर्मचारी नेता सरकार के साथ बैठक करके इस मामले का शीघ्र समाधान चाहते हैं। उनका कहना है कि न्यायालय के आदेशों के बावजूद कर्मचारियों के नियमितीकरण की प्रक्रिया में देरी की जा रही है। इस विलंब से कर्मचारियों में असंतोष बढ़ रहा है।
