Himachal News: हिमाचल प्रदेश ने सतत विकास लक्ष्य सूचकांक में उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। प्रदेश देश के शीर्ष पांच राज्यों में शामिल हुआ है। 2023-2024 के मूल्यांकन में हिमाचल का मानव विकास सूचकांक 0.78 है जो राष्ट्रीय औसत 0.63 से काफी अधिक है।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शिमला में ‘हिमाचल प्रदेश मानव विकास प्रतिवेदन-2025’ का विमोचन किया। इस रिपोर्ट को पर्यावरण विभाग और यूएनडीपी ने संयुक्त रूप से तैयार किया है। प्रदेश ने कई क्षेत्रों में नई सफलता के आयाम स्थापित किए हैं।
प्रदेश में लोगों की औसत आयु बढ़कर 73.6 वर्ष हो गई है। गरीबी दर घटकर सात प्रतिशत रह गई है। हिमाचल ने नौ लक्ष्यों में राष्ट्रीय औसत से बेहतर प्रदर्शन किया है। किफायती ऊर्जा और स्वच्छ जल जैसे क्षेत्रों में विशेष सफलता मिली है।
शिक्षा और स्वास्थ्य में उल्लेखनीय प्रगति
हिमाचल प्रदेश ने पूर्ण साक्षर राज्य बनने का गौरव हासिल कर लिया है। प्रदेश की साक्षरता दर 99.30 प्रतिशत है। पढ़ने-लिखने की क्षमताओं में हिमाचल देश में पांचवें स्थान पर पहुंच गया है।
शिशु मृत्यु दर में महत्वपूर्ण गिरावट आई है। यह घटकर प्रति हज़ार जीवित जन्मों पर 21 रह गई है। स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार से लोगों की औसत आयु में वृद्धि हुई है।
गरीबी दर में आई गिरावट प्रदेश सरकार के समावेशी विकास का परिणाम है। आर्थिक विकास ने लोगों के जीवन स्तर में सुधार किया है। सरकार की नीतियों का सकारात्मक प्रभाव दिख रहा है।
जलवायु परिवर्तन की चुनौतियां
रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन को गंभीर समस्या बताया गया है। पिछले पांच वर्षों में प्राकृतिक आपदाओं से 46,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। यह राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का चार प्रतिशत है।
जलवायु परिवर्तन ने स्वास्थ्य परिदृश्य को भी बदल दिया है। डेंगू और टाइफाइड जैसी बीमारियों के नए पैटर्न सामने आ रहे हैं। पशुजन्य संक्रमणों का खतरा बढ़ रहा है।
सबसे अधिक प्रभावित समूहों में छोटे किसान और महिलाएं शामिल हैं। आदिवासी समुदाय, बच्चे और वरिष्ठ नागरिक भी जोखिम में हैं। इनके लिए विशेष सुरक्षा उपायों की आवश्यकता है।
जिलेवार प्रदर्शन में अंतर
रिपोर्ट में सीएएचडीआई नामक नया मापदंड पेश किया गया है। किन्नौर, लाहुल-स्पीति और चंबा जिले शीर्ष तीन स्थानों पर रहे। ये जिले चुनौतीपूर्ण इलाकों में सामुदायिक लचीलेपन को दर्शाते हैं।
सोलन 0.880 के स्कोर के साथ पहले स्थान पर रहा। लाहुल-स्पीति 0.839 और किन्नौर 0.813 के स्कोर के साथ रहे। कांगड़ा 0.695 के स्कोर के साथ सबसे निचले स्थान पर रहा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार हर क्षेत्र में विकास पर ध्यान दे रही है। सड़कों, उद्योगों और कृषि में निवेश किया जा रहा है। शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला सशक्तिकरण पर विशेष जोर दिया जा रहा है।
हरित विकास की पहल
राज्य सरकार ने हरित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। राजीव गांधी स्वरोजगार स्टार्ट-अप योजना के तहत 680 करोड़ रुपये का परिव्यय है। ई-टैक्सी खरीदने पर 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है।
हिमाचल ने मजबूत इलेक्ट्रिक वाहन नीति अपनाई है। यह ऐसा करने वाला पहला पहाड़ी राज्य बन गया है। 2030 तक सार्वजनिक परिवहन के पूर्ण विद्युतीकरण का लक्ष्य रखा गया है।
राजीव गांधी स्वरोजगार सौर ऊर्जा योजना भी शुरू की गई है। इसमें 100 किलोवाट से दो मेगावाट तक की सौर परियोजनाओं के लिए ब्याज सब्सिडी दी जाती है। ये सभी पहलें पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक विकास को साथ लेकर चल रही हैं।
