Himachal News: हिमाचल प्रदेश सरकार ने भारतीय महिला क्रिकेट टीम की विश्व कप जीत में भूमिका निभाने वाली रेणुका सिंह को एक करोड़ रुपये के इनाम की घोषणा की है। रेणुका प्रदेश के रोहडू की रहने वाली हैं और उन्होंने नवंबर 2025 में भारत की ऐतिहासिक विश्व कप जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब प्रदेश की ही एक अन्य खिलाड़ी नीता राणा सरकारी सहायता की राह देख रही हैं।
शिमला की रहने वाली रेणुका सिंह ने भारतीय महिला क्रिकेट टीम की ओर से विश्व कप 2025 में छह मैचों में तीन विकेट लिए थे । भारत ने यह टूर्नामेंट दक्षिण अफ्रीका को हराकर जीता था । रेणुका की इस उपलब्धि को देखते हुए हिमाचल प्रदेश सरकार ने उन्हें एक करोड़ रुपये के इनाम से सम्मानित करने का फैसला किया है। इससे प्रदेश के युवा खिलाड़ियों को काफी प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है।
खो-खो चैंपियन नीता राणा की उपेक्षा
कुल्लू के खराहल की रहने वाली नीता राणा ने जनवरी 2025 में दिल्ली में आयोजित पहले खो-खो विश्व कप में भारत की टीम में हिस्सा लिया था। भारत ने इस टूर्नामेंट में विश्व कप पर कब्जा किया था। नीता राणा तीसरी कक्षा से ही खो-खो खेल रही हैं और उन्होंने अब तक ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी में एक सिल्वर और एक ब्रॉन्ज मेडल जीता है। खो-खो वूमन लीग में वह दूसरे स्थान पर रह चुकी हैं और ऑल इंडिया बेस्ट प्लेयर 2022 का खिताब भी उनके नाम है।
नीता राणा ने साल 2014 में मध्य प्रदेश में आयोजित राष्ट्रीय खो-खो प्रतियोगिता में अपना पहला राष्ट्रीय स्तर का मुकाबला खेला था। तब से लेकर अब तक वह कई बार राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर हिमाचल प्रदेश का नाम रोशन कर चुकी हैं। उनकी शिक्षा जिला कुल्लू के खराहल सीनियर सेकेंडरी स्कूल से पूरी हुई है और वह एक गरीब परिवार से संबंध रखती हैं।
सरकारी सहायता की प्रतीक्षा
नीता राणा का कहना है कि सरकार द्वारा क्रिकेट खिलाड़ियों को सम्मान देना एक अच्छी बात है। लेकिन उन्हें अभी तक सरकार की ओर से न तो कोई इनाम मिल पाया है और न ही सरकारी नौकरी। वह कहती हैं कि खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए उन्हें आर्थिक मदद की सख्त आवश्यकता है। नीता ने हिमाचल प्रदेश सरकार से अपील की है कि वह जल्द से जल्द खेल नीति के तहत मिलने वाली इनामी राशि दे और उनकी परफॉर्मेंस को देखते हुए सरकारी नौकरी का प्रावधान करे।
भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने नवी मुंबई के डीवाई पाटिल स्टेडियम में खेले गए फाइनल मुकाबले में दक्षिण अफ्रीका को हराकर पहली बार विश्व कप ट्रॉफी अपने नाम की थी । इस जीत के बाद बीसीसीआई ने महिला टीम को 51 करोड़ रुपये की इनामी राशि देने की घोषणा की थी । हिमाचल प्रदेश सरकार ने इसी कड़ी में रेणुका सिंह को अतिरिक्त इनाम देने का फैसला किया है।
खिलाड़ियों के बीच भेदभाव की समस्या
नीता राणा का मामला खेल जगत में व्याप्त एक बड़ी समस्या की ओर इशारा करता है। अक्सर कम लोकप्रिय खेलों के खिलाड़ियों को उचित मान्यता और सहायता नहीं मिल पाती। नीता जैसे खिलाड़ी जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन कर चुके हैं, वे आज भी सरकारी सहायता की प्रतीक्षा में हैं। उनका कहना है कि सरकार को सभी खेलों के खिलाड़ियों को समान दृष्टि से देखना चाहिए।
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला की रहने वाली रेणुका सिंह के परिवार में उनकी मां सुनीता ठाकुर क्लास-4 कर्मचारी हैं । रेणुका ने विश्व कप 2025 में छह मैच खेले और तीन विकेट लिए । उनके इस प्रदर्शन ने हिमाचल प्रदेश के युवाओं के लिए एक मिसाल कायम की है। वहीं नीता राणा जैसी खिलाड़ी की उपेक्षा यह सवाल खड़ा करती है कि क्या सरकारी सहायता केवल लोकप्रिय खेलों तक ही सीमित रह जानी चाहिए।
हिमाचल के खेल माहौल पर प्रभाव
हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा रेणुका सिंह को दिया जाने वाला इनाम प्रदेश के युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा। इससे क्रिकेट जैसे खेलों में युवाओं की भागीदारी बढ़ने की उम्मीद है। हालांकि नीता राणा जैसी खिलाड़ियों की उपेक्षा अन्य खेलों से जुड़े युवाओं को निराश कर सकती है। सरकार को एक संतुलित खेल नीति की आवश्यकता है जो सभी खेलों के खिलाड़ियों को समान अवसर प्रदान कर सके।
नीता राणा के मामले ने हिमाचल प्रदेश की खेल नीति पर सवाल खड़े किए हैं। एक तरफ जहां क्रिकेट खिलाड़ियों को करोड़ों रुपये का इनाम दिया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ खो-खो जैसे पारंपरिक खेल के विश्व चैंपियन खिलाड़ी को सरकारी सहायता के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। इस स्थिति ने प्रदेश के खेल मंत्रालय के समक्ष एक नई चुनौती पेश की है जिसके समाधान की तत्काल आवश्यकता है।
