Himachal News: हिमाचल प्रदेश में पंचायत चुनाव की चर्चाओं के बीच गांवों में विकास की रफ्तार पूरी तरह थम गई है। पंचायतों के पास लाखों रुपये का बजट उपलब्ध है, लेकिन इसके बावजूद काम नहीं हो रहे हैं। मौजूदा पंचायत प्रतिनिधियों का पूरा ध्यान अब विकास कार्यों की जगह आगामी चुनाव और जनसंपर्क पर केंद्रित हो गया है।
3577 पंचायतों में चुनाव की तैयारी
राज्य में कुल 3577 पंचायतों में चुनाव होने हैं। हालांकि, आरक्षण रोस्टर अभी जारी नहीं हुआ है, फिर भी संभावित उम्मीदवारों ने चुनाव प्रचार तेज कर दिया है। प्रदेश में जून से सितंबर तक बरसात और प्राकृतिक आपदा के कारण पहले ही विकास कार्य लटके हुए थे। अब चुनावी शोर के बीच ग्रामीण विकास के कार्यों को बड़ा झटका लगा है। शहरी निकायों के गठन के बाद पंचायतों की संख्या 3615 से घटकर 3577 रह गई है।
मनरेगा और ग्रामसभा के हाल बेहाल
अक्टूबर और नवंबर महीने में विकास कार्यों में तेजी आने की उम्मीद थी। लेकिन पंचायत चुनाव के ताजा घटनाक्रम ने सब कुछ रोक दिया है। मनरेगा के तहत होने वाले कार्यों में भारी कमी आई है। ग्रामसभा की बैठकों में कोरम पूरा नहीं हो पा रहा है। कोरम के अभाव में विकास के नए शेल्फ (योजनाओं) को मंजूरी नहीं मिल रही है। केवल पुराने शेल्फ के तहत ही छोटे-मोटे काम निपटाए जा रहे हैं।
कार्यकाल खत्म होने का असर
शिमला जिले के जुब्बल स्थित बागी पंचायत के पूर्व प्रधान राजकुमार बिंटा ने बताया कि मौजूदा प्रतिनिधियों का कार्यकाल 31 जनवरी को समाप्त हो रहा है। ऐसे में प्रतिनिधि अब विकास कार्यों में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के सचिव सी. पालरासू ने भी माना कि लाखों का बजट होने के बाद भी कार्यों की गति बेहद धीमी है। अब नए प्रतिनिधियों के चुने जाने के बाद ही पंचायतों में रुके हुए कार्यों को गति मिलने की उम्मीद है।
