Himachal News: हिमाचल प्रदेश में बढ़ती पर्यावरणीय चुनौतियों और आपदाओं के बीच मंडी के साक्षरता भवन में जन संगठनों की महत्वपूर्ण बैठक हुई। पंद्रह और सोलह नवंबर को आयोजित इस दो दिवसीय बैठक में आपदाओं, जलवायु परिवर्तन और विकास नीतियों पर गहन चर्चा हुई। विभिन्न संगठनों ने सुरक्षित हिमाचल के लिए सामूहिक रणनीति बनाने पर जोर दिया।
जागोरी ग्रामीण की चंद्रकांता ने कहा कि हिमाचल में आ रही भीषण आपदाएं प्राकृतिक नहीं हैं। ये असंतुलित विकास मॉडल का सीधा परिणाम हैं। हिमालय नीति अभियान के गुमान सिंह ने बिलासपुर-लेह रेल लाइन और लेह ट्रांसमिशन लाइन जैसी परियोजनाओं पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि ये परियोजनाएं ब्यास घाटी के पर्यावरण को नुकसान पहुंचाएंगी।
सामुदायिक भूमि के संरक्षण पर जोर
हिमधरा पर्यावरण समूह के प्रकाश भण्डारी ने सामुदायिक क्षेत्रों के संरक्षण की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि जंगलों, घास के मैदानों और नदी-नालों को बचाना जरूरी है। आपदाएं वहीं से शुरू होती हैं जहां सामुदायिक जमीनों पर अंधाधुंध छेड़छाड़ की जाती है। मंडी के वरिष्ठ कार्यकर्ता श्याम सिंह ने स्थानीय लोगों की सहमति को जरूरी बताया।
श्याम सिंह ने कहा कि किसी भी निर्माण या परियोजना की अनुमति देने से पहले स्थानीय लोगों और पंचायतों की सहमति आवश्यक है। जनता को बाहर रखकर किए गए विकास कार्यक्रम केवल खतरा पैदा करते हैं। लोकतांत्रिक राष्ट्रनिर्माण अभियान के अशोक सोमल ने पुनर्वास की चुनौतियों की ओर ध्यान खींचा।
वन कानूनों में बदलाव की मांग
अशोक सोमल ने बताया कि हिमाचल की सरसठ प्रतिशत जमीन वन क्षेत्र में आती है। आपदाओं से विस्थापित हजारों परिवार 2023 से स्थायी पुनर्वास की प्रतीक्षा कर रहे हैं। राज्य सरकार के पास पर्याप्त गैर-वन भूमि नहीं है। केंद्रीय वन कानूनों में बदलाव किए बिना व्यापक पुनर्वास संभव नहीं है।
पद्म श्री नेकराम शर्मा ने हिमाचल की पहाड़ी अर्थव्यवस्था को जलवायु परिवर्तन के अनुसार ढालने की बात कही। उन्होंने स्थानीय समुदायों को सामुदायिक संसाधनों के प्रबंधन में पहल लेने का आह्वान किया। इस कार्यक्रम में कई जन संगठनों ने भाग लिया और अपनी चिंताएं साझा कीं।
संयुक्त प्रयास से आयोजित हुआ कार्यक्रम
यह कार्यक्रम विभिन्न जन संगठनों के संयुक्त प्रयास से आयोजित किया गया। इसमें एकल नारी शक्ति संगठन, भूमि अधिग्रहण प्रभावित मंच, हिमालय नीति अभियान और हिमलोक जागृति मंच शामिल थे। हिमाचल ज्ञान-विज्ञान समिति, हिमधरा पर्यावरण समूह और जीभी वैली टूरिज्म डेवलपमेंट एसोसिएशन ने भी भाग लिया।
लोकतांत्रिक राष्ट्रनिर्माण अभियान, मंडी साक्षरता समिति और पीपल फॉर हिमालय अभियान ने सक्रिय भूमिका निभाई। पर्वतीय महिला अधिकार मंच, सामाजिक-आर्थिक समानता जन अभियान और सेव लाहौल-स्पीति ने भी हिस्सा लिया। टावर लाइन प्रभावित मंच ने भी अपने विचार रखे।
