Himachal News: हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र से ठीक पहले पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पर केंद्रित एक किताब ने राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। ‘द विजनरी’ नामक इस पुस्तक के प्रकाशन पर विपक्ष ने सवाल उठाए हैं। हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. राजेश शर्मा ने विवाद के बीच विपक्ष को जवाब देते हुए उनसे सहयोग की अपील की है। उन्होंने विपक्षी नेताओं को धर्मशाला स्थित बोर्ड कार्यालय में आकर किताब को समझने का न्योता दिया है।
डॉ. राजेश शर्मा ने स्पष्ट किया कि नेहरू किसी एक पार्टी नहीं, बल्कि देश के पहले प्रधानमंत्री थे। उन्होंने कहा कि उनकी विचारधारा को जीवित रखने का प्रयास किया जा रहा है। विपक्ष को इस पुस्तक का विरोध करने के बजाय नेहरू की नीतियों के प्रचार-प्रसार में सहयोग देना चाहिए। यह पुस्तक युवा पीढ़ी को एक अच्छी सामग्री परोसने और उनका ध्यान मोबाइल से हटाने का एक प्रयास है।
विपक्ष को दिया सीधा न्योता
इस राजनीतिक बहस केबीच डॉ. शर्मा ने विपक्ष को सीधा न्योता दिया है। उन्होंने कहा कि विपक्ष के साथी धर्मशाला में बोर्ड कार्यालय आएं। वह उनके साथ बैठकर इस पुस्तक को समझने का प्रयास करें। यह आमंत्रण ऐसे समय में आया है जब प्रदेश की राजनीति विधानसभा के शीतकालीन सत्र को लेकर चर्चा में है। यह सत्र 26 नवंबर से धर्मशाला के तपोवन में शुरू हो रहा है .
पुस्तक के प्रकाशन पर डॉ. शर्मा का पक्ष
डॉ.राजेश शर्मा ने इस बात पर जोर दिया कि ‘द विजनरी’ पुस्तक को जवाहरलाल नेहरू फाउंडेशन से औपचारिक अनुमति लेकर प्रकाशित किया गया है। यह बोर्ड के कॉपीराइट के तहत है। उन्होंने यह भी कहा कि पुस्तक का मूल्य मात्र पचास रुपये रखा गया है, जिससे बोर्ड की आय भी बढ़ेगी। अगर विपक्ष को लगता है कि इसमें केंद्रीय शिक्षा मंत्री का संदेश भी होना चाहिए, तो वह उसे पहुंचाने में मदद करें, बोर्ड उसे भी प्रकाशित करने से इनकार नहीं करेगा।
शीतकालीन सत्र की पृष्ठभूमि में विवाद
यह पूराविवाद हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र से ठीक पहले उठा है . इस सत्र को लेकर सरकार और विपक्ष दोनों की तैयारियां जोरों पर हैं। सत्र से पहले हुई कैबिनेट बैठक में कई अहम निर्णय लिए गए थे . ऐसे में, यह किताब सदन में एक प्रमुख विषय बन सकती है। विपक्ष पहले ही इस मुद्दे पर सरकार पर निशाना साध रहा है।
युवाओं तक पहुंचाने पर जोर
डॉ.शर्मा ने अपने बयान में युवा पीढ़ी पर जोर दिया। उनका कहना है कि इस पुस्तक का उद्देश्य युवाओं को नेहरू के विजन और दर्शन से अवगत कराना है। यह युवाओं को किताबों की ओर वापस लाने और उन्हें सकारात्मक दिशा देने का एक प्रयास है। उन्होंने विपक्ष से इस मकसद में सहयोग देने और अनावश्यक विवाद खड़ा न करने का आग्रह किया है।
