Kangra News: हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर ने टमाटर की दो नई किस्में विकसित कर महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। “हिम पालम टमाटर-1” और “हिम पालम टमाटर-2” नामक ये किस्में जीवाणु मुरझान रोग के प्रति प्रतिरोधी हैं। यह रोग हिमाचल के टमाटर उत्पादकों के लिए एक गंभीर चुनौती बना हुआ था।
कुलपति प्रो. नवीन कुमार ने बताया कि ये किस्में उच्च उपज देने वाली हैं। लगभग दो दशक के अनुसंधान के बाद ये किस्में विकसित की गई हैं। इन्हें चार मई 2024 को विश्वविद्यालय की कार्यशाला में स्वीकृति मिली है। अब इन्हें राज्य किस्म विमोचन समिति के अनुमोदन के लिए भेजा गया है।
किस्मों की मुख्य विशेषताएं
हिम पालम टमाटर-1 लंबे पौधों वाली किस्म है। इसके गहरे लाल रंग के गोल फल का वजन 65-70 ग्राम होता है। यह किस्म 70-75 दिनों में तैयार हो जाती है। इसकी औसतन पैदावार 250-275 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। यह निचले और मध्य पर्वतीय क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है।
हिम पालम टमाटर-2 भी लंबे पौधों वाली किस्म है। इसके फल गहरे लाल रंग के और लंबे छुआरे के आकार के होते हैं। फलों का वजन 70-75 ग्राम होता है और छिलका मोटा होता है। यह किस्म भी 70-75 दिनों में तैयार होती है। इसकी औसतन पैदावार 240-260 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
किसानों को लाभ
मंजूरी मिलने के बाद इन किस्मों के बीज हिमाचल के किसानों को उपलब्ध कराए जाएंगे। इससे मुरझान-प्रवण क्षेत्रों में भी टमाटर का व्यावसायिक उत्पादन संभव हो सकेगा। किसानों की आय में वृद्धि होगी और राज्य की सब्जी अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।
जीवाणु मुरझान रोग विशेष रूप से निचले और मध्य-पहाड़ी क्षेत्रों में टमाटर उत्पादन के लिए बड़ी बाधा था। इस रोग के कारण युवा पौधे संक्रमण के 10-15 दिनों के भीतर मुरझा जाते थे। कोई रासायनिक उपचार प्रभावी नहीं था। प्रतिरोधी किस्मों की खेती ही एकमात्र समाधान साबित होगी।
