Himachal News: हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले में धोखाधड़ी का एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहाँ उद्योग लगाने के नाम पर एक साधारण कर्मचारी को कंपनी का डायरेक्टर बना दिया गया। शातिरों ने उसके नाम पर करोड़ों की जमीन की रजिस्ट्री भी करवा दी। अब कंपनी पर लगभग 100 करोड़ रुपये की देनदारियां हैं। यह पूरा मामला टाहलीवाल पुलिस थाना क्षेत्र का है। पुलिस ने आरोपी एमडी के खिलाफ जांच तेज कर दी है।
टाहलीवाल पुलिस को सौंपा गया केस
यह मामला पहले नालागढ़ पुलिस थाने में दर्ज था। पुलिस की जांच में साफ हुआ कि घटनास्थल ऊना जिले के गोंदपुर जयचंद में है। यह क्षेत्र टाहलीवाल थाने के अंतर्गत आता है। इसलिए अब केस को यहाँ शिफ्ट कर दिया गया है। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर आगामी कार्रवाई शुरू कर दी है। डीएसपी हरोली अजय ठाकुर ने बताया कि यह मामला साल 2022 का है। शुरुआती जांच में धोखाधड़ी के आरोप सही साबित हुए हैं। मुख्य आरोपी अभी विदेश फरार बताया जा रहा है।
साजिश के तहत फंसाया गया कर्मचारी
शिकायतकर्ता हरवंस लाल नालागढ़ के दत्तोवाल गाँव के रहने वाले हैं। उन्होंने सिग्मा सीमेंट कंपनी के तत्कालीन एमडी दिनेश सोइन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। आरोपी दिनेश सोइन लुधियाना (पंजाब) का निवासी है। हरवंस लाल ने बताया कि वह 1992 में कंपनी में बतौर स्टोरमैन भर्ती हुए थे। साल 2007 में कंपनी ने अपना कामकाज बंद कर दिया था। इसके बाद एमडी ने हिमाचल प्रदेश के गोंदपुर में नई पेपर मिल लगाने का झांसा दिया।
धारा 118 से बचने के लिए रचा खेल
आरोपी ने प्रोजेक्ट के लिए करीब 50 एकड़ जमीन खरीदने की प्रक्रिया शुरू की। राज्य में धारा 118 की वजह से बाहरी व्यक्ति जमीन नहीं खरीद सकता था। अनुमति न होने पर एमडी ने पूरी जमीन स्टोरमैन हरवंस लाल के नाम पर रजिस्टर करवा दी। पीड़ित को विश्वास दिलाया गया कि अनुमति मिलते ही जमीन कंपनी के नाम कर दी जाएगी। शिकायतकर्ता ने भरोसे में आकर हामी भर दी।
बिना वेतन और सहमति के बना दिया डायरेक्टर
हरवंस लाल ने 2013 के बाद कंपनी जाना बंद कर दिया था। बाद में उन्हें पता चला कि एमडी सब कुछ छोड़कर भाग गया है। कंपनी के रिकॉर्ड चेक करने पर उनके होश उड़ गए। दस्तावेजों में उन्हें कंपनी का डायरेक्टर दर्शाया गया था। पीड़ित का दावा है कि उन्होंने कभी किसी बोर्ड मीटिंग में हिस्सा नहीं लिया। उन्हें डायरेक्टर पद का कोई वेतन भी नहीं मिला। यह सब उनकी जानकारी के बिना किया गया।
कंपनी दीवालिया, संपत्तियां हुईं सीज
जांच में पता चला है कि कंपनी को दीवालिया घोषित किया जा चुका है। प्रशासन ने कंपनी की संपत्तियां भी सीज कर दी हैं। अब देनदारों का दबाव और कानूनी पचड़े उस साधारण कर्मचारी पर आ गए हैं। पीड़ित ने इसे अपने साथ बड़ा विश्वासघात बताया है। हिमाचल प्रदेश पुलिस अब आरोपी को विदेश से लाने और मामले की तह तक जाने का प्रयास कर रही है।
