शनिवार, दिसम्बर 20, 2025

हिमाचल प्रदेश: हृदय रोग और बीपी की दवाओं सहित 94 नमूने फेल, 3 नकली पाई गईं

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Himachal Pradesh News: केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) और राज्य नियामकों की एक संयुक्त जांच में हिमाचल प्रदेश और अन्य राज्यों में निर्मित 94 दवाओं के नमूने गुणवत्ता मानकों पर खरे नहीं उतरे हैं। इनमें हृदय रोग और उच्च रक्तचाप की दवाएं भी शामिल हैं। जांच में तीन दवाएं पूरी तरह से नकली निकली हैं।

अगस्त माह के ड्रग अलर्ट के अनुसार, हिमाचल प्रदेश के 31 दवा निर्माता कंपनियों द्वारा बनाई गई 38 दवाएं खराब पाई गईं। अन्य राज्यों की इकाइयों में बनी 56 दवाओं के नमूने भी फेल हुए हैं। यह जानकारी राज्य दवा नियंत्रक मनीष कपूर ने दी।

फेल हुए नमूनों में बद्दी में बने ओमेगा-3 फैटी एसिड कैप्सूल शामिल हैं। सिरमौर जिले में निर्मित आर्थराइटिस की दवा डेक्सामेथासोन सोडियम फास्फेट इंजेक्शन भी खराब पाया गया। पांवटा साहिब की एमिकासिन सल्फेट इंजेक्शन और नालागढ़ की दर्द निवारक ट्रामाडोल कैप्सूल के नमूने भी फेल हुए।

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अन्य राज्यों में भी दवाएं फेल

जांच मेंअन्य राज्यों की दवाएं भी गुणवत्ता पर खरी नहीं उतरीं। उत्तराखंड में निर्मित मिर्गी, सीने की जलन और कैल्शियम की दवाएं फेल हुईं। वहां बनी हाई बीपी की दवा का नमूना भाी असफल रहा। पंजाब में बनी हृदय रोग और माइग्रेन की दवा भी खराब मिली।

इंदौर में प्रसव के दौरान दिए जाने वाले एक इंजेक्शन का नमूना भी जांच में पास नहीं हो सका। इसके अलावा, हिमाचल के बद्दी में निर्मित पांच अलग-अलग सिरप के नमूने भी गुणवत्ता मानकों पर खरे नहीं उतरे।

क्या होगी कार्रवाई?

राज्य दवा नियंत्रक मनीष कपूर के मुताबिक, फेल हुए नमूनों वाले सभी निर्माताओं को नोटिस जारी कर दिया गया है। उन्हें बाजार से संबंधित दवाओं के बैच तुरंत वापस बुलाने के निर्देश दिए गए हैं। जिन कंपनियों के नाम लगातार फेल हो रहे हैं, उनकी विस्तृत जांच कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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कपूर ने बताया कि अवैध निर्माता अक्सर नामचीन ब्रांड्स की नकली दवाएं बना देते हैं। खासतौर पर हृदय रोग और ब्लड प्रेशर की दवाओं के साथ ऐसा होता है। केंद्र और राज्य की नियामक एजेंसियां ऐसे मामलों पर लगातार नजर रखती हैं और निगरानी करती हैं।

इस जांच में एसिडिटी, बुखार, पेट के अल्सर, सूजन और पेट के कीड़ों जैसी बीमारियों की दवाएं भी शामिल थीं। ये सभी दवाएं सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज में व्यापक रूप से उपयोग की जाती हैं। इनके खराब होने से उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य पर गंभीर जोखिम हो सकता है।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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