Shimla News: हिमाचल प्रदेश के 91 सरकारी अस्पतालों में मरीजों से पर्ची बनाने के लिए 10 रुपये का शुल्क लिया जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्री धनीराम शांडिल्य ने विधानसभा में इसकी पुष्टि की। यह निर्णय संबंधित अस्पतालों की रोगी कल्याण समितियों की मंजूरी के बाद लागू किया गया है। बिलासपुर को छोड़कर प्रदेश के लगभग सभी जिले इसके दायरे में आते हैं।
हमीरपुर से विधायक आशीष शर्मा ने इस मामले में सदन में सवाल उठाया था। उन्होंने पूछा था कि क्या सरकार ने पर्ची शुल्क तय किया है। मंत्री के जवाब से पता चला कि यह प्रथा व्यापक स्तर पर चल रही है। इससे सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की मुफ्त प्रकृति पर सवाल उठ खड़े हुए हैं।
कांगड़ा और ऊना जिलों में सबसे ज्यादा 21-21 अस्पतालों में यह शुल्क वसूला जा रहा है। सोलन जिले के 19 अस्पताल भी इस सूची में शामिल हैं। शिमला के आईजीएमसी और अन्य प्रमुख अस्पतालों में भी मरीजों से यह राशि ली जा रही है।
चिकित्सा परीक्षण अब मुफ्त नहीं
इसकेअलावा, कई अस्पतालों में कुछ मेडिकल टेस्ट अब सशुल्क हो गए हैं। ईसीजी और अल्ट्रासाउंड जैसे जरूरी टेस्ट पहले निशुल्क थे, लेकिन अब उनके लिए भी भुगतान करना पड़ रहा है। कांगड़ा जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में ये दोनों टेस्ट शुल्क लेकर किए जाते हैं।
मंडी जिले के बल्द्वारा और सुंदरनगर के अस्पतालों में भी यह बदलाव देखने को मिला है। वहां पहले ये सेवाएं मुफ्त थीं, लेकिन अब शुल्क लिया जा रहा है। धर्मशाला, नूरपुर और पालमपुर के अस्पतालों में भी इन परीक्षणों के लिए फीस तय की गई है।
अन्य जिलों में भी शुल्क का दायरा
चंबाजिले के सात अस्पतालों में पर्ची शुल्क लागू है। किन्नौर के छह और सिरमौर जिले के पांच अस्पतालों में यह प्रथा है। मंडी और हमीरपुर में दो-दो अस्पताल इस सूची में हैं। ऊना के अंब अस्पताल और हमीरपुर के बड़सर व बिझड़ी अस्पतालों में भी कुछ जांचों के लिए शुल्क वसूला जा रहा है।
राज्य सरकार ने माना है कि ये निर्णय अस्पताल स्तर पर लिए गए हैं। इन्हें रोगी कल्याण समितियों की सहमति से लागू किया गया है। इससे सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की लागत और गुणवत्ता पर एक नया बहस छिड़ गई है। मरीजों पर पड़ने वाले इस अतिरिक्त वित्तीय बोझ को लेकर चिंता जताई जा रही है।
