शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

हिमाचल प्रदेश: 66 दवाओं के सैंपल फेल, कैंसर और हार्ट अटैक की दवाएं भी मानकों पर खरी नहीं उतरी

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Himachal News: हिमाचल प्रदेश में निर्मित दवाओं की गुणवत्ता को लेकर चौंकाने वाला मामला सामने आया है। अक्टूबर महीने के ड्रग अलर्ट में 66 दवाओं के सैंपल मानकों पर खरे नहीं उतरे हैं। देशभर में कुल 211 दवाओं के सैंपल असफल रहे हैं। इनमें कैंसर और हार्ट अटैक जैसी गंभीर बीमारियों की दवाएं भी शामिल हैं।

इन असफल दवाओं में बुखार, संक्रमण, कैल्शियम और विटामिन की दवाएं भी हैं। मधुमेह और खांसी की दवाएं भी मानकों पर खरी नहीं उतरी हैं। ये दवाएं प्रदेश की विभिन्न दवा कंपनियों में निर्मित की गई थीं। स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले में गंभीर चिंता जताई है।

प्रयोगशाला परीक्षण में खुलासा

राज्य प्रयोगशाला द्वारा 49 दवाओं के सैंपल लिए गए थे। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन द्वारा 17 दवाओं के सैंपल लिए गए। सभी सैंपल मानकों पर सही नहीं पाए गए। ये दवाएं सोलन, बद्दी और नालागढ़ की कंपनियों में बनी थीं। कालाअंब, पांवटा और कांगड़ा के संसारपुर टैरेस की दवा कंपनियां भी इसमें शामिल हैं।

राज्य के ड्रग कंट्रोलर मनीष कपूर ने बताया कि असफल सैंपल वाली दवाओं के लाइसेंस रद्द कर दिए जाएंगे। कंपनियों को नोटिस जारी कर स्टॉक वापस मंगवाने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि गुणवत्ता मानकों का पालन सुनिश्चित करना जरूरी है।

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दवा कंपनियों पर कार्रवाई

ड्रग कंट्रोलर ने स्पष्ट किया कि सभी दोषी कंपनियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। लाइसेंस रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। बाजार में मौजूद इन दवाओं को वापस बुलाया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने जनता से सतर्क रहने की अपील की है।

विभाग ने दवा विक्रेताओं को निर्देश दिए हैं कि वे इन कंपनियों की दवाएं न बेचें। दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए निगरानी तंत्र मजबूत किया जा रहा है। नियमित जांच और परीक्षण किए जा रहे हैं। भविष्य में ऐसे मामले सामने न आएं इसके लिए कदम उठाए जा रहे हैं।

राज्य सरकार की कार्रवाई

स्वास्थ्य विभाग ने दवा निर्माता कंपनियों पर सख्त कार्रवाई का ऐलान किया है। मानकों का पालन न करने वाली कंपनियों को बंद किया जाएगा। नई दवाओं के लाइसेंस जारी करने से पहले सख्त जांच की जाएगी। विभाग ने गुणवत्ता नियंत्रण के उपायों को मजबूत करने का फैसला किया है।

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दवा निर्माण इकाइयों का नियमित निरीक्षण किया जाएगा। अचानक छापेमारी की जाएगी। दवाओं के नमूने लेकर उनकी जांच करवाई जाएगी। मानकों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। विभाग जनस्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रहा है।

जनस्वास्थ्य पर प्रभाव

इस घटना ने दवाओं की गुणवत्ता को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ की आशंका जताई जा रही है। गुणवत्ताहीन दवाएं मरीजों के लिए घातक साबित हो सकती हैं। विशेषज्ञों ने दवा निर्माण में गुणवत्ता मानकों के पालन पर जोर दिया है।

स्वास्थ्य अधिकारी दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। वे नियमित निगरानी और जांच के माध्यम से मानकों का पालन सुनिश्चित कर रहे हैं। जनता से आग्रह किया गया है कि वे संदिग्ध दवाओं की जानकारी विभाग को दें। साथ ही केवल विश्वसनीय स्रोतों से ही दवाएं खरीदें।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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